झारखंड उच्च न्यायालय में आपराधिक मामलों पर निर्णय में देरी पर सर्वोच्च न्यायालय की नाराजगी

द मीडिया टाइम्स डेस्क

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। यह नाराजगी उस समय सामने आई जब पता चला कि झारखंड उच्च न्यायालय ने 67 आपराधिक अपीलों पर फैसला सुरक्षित रखने के बावजूद अभी तक कोई निर्णय नहीं सुनाया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह स्थिति न्यायिक प्रणाली की गंभीरता को दर्शाती है और इससे न्याय में देरी होती है, जो अंततः न्याय से इनकार के समान है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि फैसलों में अनावश्यक देरी न केवल पीड़ितों और अभियुक्तों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह आम जनता के न्यायपालिका पर विश्वास को भी कमजोर करती है।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को आदेश दिया है कि वे उन मामलों की सूची एक महीने के भीतर प्रस्तुत करें, जिनमें फैसला सुरक्षित रखा गया है लेकिन अब तक सुनाया नहीं गया है। यह निर्देश पारदर्शिता बढ़ाने और न्यायिक प्रक्रिया में गति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

न्यायपालिका की विश्वसनीयता और कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए समयबद्ध फैसले अत्यंत आवश्यक हैं। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि उच्च न्यायालय इस निर्देश का पालन करते हुए लंबित मामलों में शीघ्र निर्णय देंगे ताकि न्याय प्रक्रिया प्रभावी और विश्वसनीय बनी रह सके।

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