गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का एक प्रमुख त्योहार है, जो भारतीय नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का एक प्रमुख त्योहार है, जो भारतीय नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाया जाता है और हिंदू पंचांग के अनुसार इसे चैत मास की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्व है, और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन न केवल एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य की विजय का भी प्रतीक माना जाता है।

गुड़ी पड़वा की मान्यता :

गुड़ी पड़वा की मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी की थी। इसे मराठा साम्राज्य की भी विजय के रूप में मनाया जाता है, जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन से ही रात्रि और दिन के तापमान में परिवर्तन होता है, और यह मौसम परिवर्तन का संकेत भी है।

गुड़ी पड़वा के दिन, लोग अपने घरों के बाहर एक विशेष ध्वज (गुड़ी) लगाते हैं, जो एक लम्बे खंभे पर हरे रंग के कपड़े, फूल, बांसुरी, और ताम्र पात्र में शक्कर का मिश्रण बांधकर लटकाते हैं। यह गुड़ी घर में सुख-समृद्धि और उन्नति का प्रतीक मानी जाती है। साथ ही, यह समाज में अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के रूप में भी मनाया जाता है।

उत्सव की तैयारी :

गुड़ी पड़वा के दिन घरों की सफाई और सजावट की जाती है। महिलाएं इस दिन को विशेष रूप से खास बनाने के लिए रंगोली बनाती हैं और घर को फूलों से सजाती हैं। लोग इस दिन को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी और उमंग के साथ मनाते हैं। मिठाइयाँ बनती हैं, खासकर पुरी और शीरा, और लोग एक दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।

इस प्रकार, गुड़ी पड़वा एक न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि यह महाराष्ट्र के सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है, जो एकता, समृद्धि, और खुशहाली का संदेश देता है।

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