हम भी ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी पहल पर विचार कर सकते हैं: स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी

ब्रातिस्लावा: स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की खुले दिल से सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और पारिवारिक मूल्यों को जोड़ने का एक बेहतरीन उदाहरण है और उनका देश भी इस तरह की पहल पर गंभीरता से विचार कर सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना है, साथ ही उन्हें अपनी मां के सम्मान में एक वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित करना है। यह न केवल प्रकृति के लिए एक अमूल्य योगदान है, बल्कि इससे समाज में पारिवारिक संबंधों की अहमियत भी उजागर होती है।

स्लोवाकिया के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश से इस तरह की सकारात्मक और प्रेरणादायक पहल आना पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। “मैं इस विचार से बेहद प्रभावित हूं कि कोई व्यक्ति अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाए – यह प्रकृति और परिवार दोनों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। यह एक ऐसा संदेश है जो सीमाओं से परे जाता है,” उन्होंने कहा।

राष्ट्रपति पेलेग्रिनी ने यह भी संकेत दिया कि स्लोवाकिया सरकार इस अभियान की रूपरेखा का अध्ययन करेगी और यह देखेगी कि वहां के स्थानीय संदर्भ में इसे किस प्रकार अपनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज वैश्विक चिंता का विषय है और इससे निपटने के लिए नवाचार और भावनात्मक जुड़ाव की आवश्यकता है।

‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे अभियानों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करते हैं। जब कोई व्यक्ति एक पेड़ लगाता है और उसे अपनी मां के नाम से जोड़ता है, तो उसके भीतर उस पेड़ की देखभाल करने का भाव पैदा होता है। यह पहल लोगों को केवल पौधे लगाने तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें उनके संरक्षण और पालन-पोषण के प्रति भी उत्तरदायी बनाती है।

भारत में यह अभियान कई राज्यों में लोकप्रिय हो रहा है और इसे सरकारी और निजी संस्थानों के साथ-साथ आम जनता का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। स्लोवाकिया जैसे देशों में अगर इस तरह की योजनाएं अपनाई जाती हैं तो यह वैश्विक स्तर पर एक हरित क्रांति की ओर कदम हो सकता है।

इस प्रकार, स्लोवाकिया के राष्ट्रपति की सराहना इस बात का प्रमाण है कि भारत के प्रयास वैश्विक स्तर पर प्रेरणा बन रहे हैं। यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में और भी देश ऐसे नवोन्मेषी अभियानों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ठोस योगदान देंगे।

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