पुणे की शान: येरवड़ा का छोटा गुरुद्वारा बना सिख आस्था का बड़ा केंद्र

पुणे में सिख समुदाय की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुके गुरुद्वारा दशमेश दरबार, येरवड़ा की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। करीब 10×12 फुट की साधारण टिन की झोपड़ी से शुरू हुआ यह गुरुद्वारा आज सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का स्थान है।

इस गुरुद्वारे की स्थापना तीन पूर्व सैनिकों ने की थी, जिन्होंने सीमाओं की रक्षा के बाद समाज और सेवा के मार्ग को चुना। उस समय यह स्थान बेहद छोटा था, लेकिन श्रद्धा और सेवा की भावना के साथ यह लगातार विस्तार पाता गया।

आज यहां मुख्य हॉल में लगभग 100 श्रद्धालु एक साथ बैठकर कीर्तन सुन सकते हैं। रविवार को संगत की संख्या 300 से भी अधिक पहुंच जाती है। लंगर सेवा, कीर्तन और सामुदायिक आयोजन—यह स्थान केवल पूजा का स्थल नहीं बल्कि लोगों को जोड़ने का माध्यम बन चुका है।

स्थानीय सिख समुदाय ही नहीं, आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग भी यहां शांति, सेवा और सद्भावना का अनुभव करने आते हैं। यह गुरुद्वारा पुणे में धार्मिक और सामाजिक सद्भाव का सुंदर उदाहरण बन गया है।

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