राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड के सीईओ ने कहा: “औषधीय पौधों का संरक्षण करें, नहीं तो खतरे में हमारी भविष्य की सेहत”

फरीदाबाद, हरियाणा: राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड (NMPB), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेश कुमार दधिच ने युवा शोधकर्ताओं और छात्रों को औषधीय पौधों के संरक्षण के महत्व के बारे में आगाह किया। उन्होंने कहा, “हम जो भी सब्जियां और फल खाते हैं, उनमें औषधीय गुण मौजूद हैं। यदि हम आज इन पौधों का संरक्षण नहीं करेंगे, तो भविष्य में हमारी सेहत और पोषण खतरे में पड़ सकता है। हमारा शरीर प्राकृतिक है और इसे बनाए रखने के लिए प्रकृति प्राकृतिक पदार्थ देती है।”

यह संदेश उन्होंने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) में ‘Eden of Elixirs’ नामक औषधीय बगिया के उद्घाटन समारोह के दौरान दिया। यह बगिया मानव रचना सेंटर फॉर मेडिसिनल प्लांट पैथोलॉजी (MRCMPP) द्वारा NMPB और आयुष मंत्रालय के सहयोग से स्थापित की गई है।

डॉ. निधि दीदवाना, निदेशक, MRCMPP और प्रोजेक्ट की मुख्य शोधकर्ता ने बगिया की शैक्षिक महत्वता पर जोर देते हुए कहा, “Eden of Elixirs सिर्फ एक औषधीय बगिया नहीं है, बल्कि यह छात्रों, शोधकर्ताओं और समुदाय को प्रकृति से जोड़ने, जैव-सक्रिय यौगिकों का अध्ययन करने और सतत स्वास्थ्य देखभाल में योगदान देने का एक जीवंत प्रयोगशाला है।”

इस बगिया में 130 से अधिक औषधीय और सुगंधित पौधों की प्रजातियां हैं, जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी, तुलसी की विभिन्न किस्में, गुड़मार, गिलोय, वाच आदि। चारक संहिता से प्रेरित यह बगिया फूल के आकार में आठ पंखुड़ियों वाली डिजाइन में है, जिसमें प्रत्येक पंखुड़ी मानव शरीर की अलग प्रणाली, जैसे पाचन स्वास्थ्य, मौखिक स्वास्थ्य और कैंसर देखभाल को दर्शाती है। केंद्र में नीले कमल का तालाब बगिया की जैव विविधता और सौंदर्य को बढ़ाता है।

MRCMPP किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधों की आपूर्ति कर ग्रामीण समुदायों को औषधीय पौधों की खेती से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास कर रहा है। डॉ. दधिच ने कहा कि इस तरह की सामुदायिक पहल को पूरे देश में स्कूलों और केंद्रों में दोहराने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उन्होंने सरकारी योजनाओं के तहत 700 स्कूलों में औषधीय बगियों की स्थापना की योजना का उल्लेख किया।

इस अवसर पर “A Comprehensive Book on Medicinal Plants” का भी लोकार्पण किया गया, जिसे डॉ. निधि दीदवाना और डॉ. जीतेंद्र कुमार ने संपादित किया है। कार्यक्रम ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs), जैसे शून्य भूख, अच्छी स्वास्थ्य और कल्याण, जलवायु कार्य और जीवन भूमंडल संरक्षण पर केंद्रित प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया।

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