उत्तराखंड: नैनीताल में ‘फूलदेई’ की धूम, सौभाग्य और समृद्धि की आरजू

उत्तराखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, में हर पर्व और त्यौहार अपनी अलग ही विशेषता रखता है। यहां के लोग अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बड़े ही श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं। ऐसे ही एक खास पर्व का नाम है ‘फूलदेई’, जो खास तौर पर नैनीताल और अन्य कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। यह त्यौहार खासतौर पर बच्चों के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि इसे सौभाग्य और समृद्धि की कामना के रूप में मनाया जाता है।

‘फूलदेई’ का त्यौहार हर साल मार्च माह में मनाया जाता है, और यह पर्व खास तौर पर कुमाऊंनी संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस दिन घरों में फूलों की सजावट होती है और घर के हर हिस्से में रंग-बिरंगे फूलों की माला सजाई जाती है। इस दिन, महिलाएं और बच्चे घरों के आंगन में फूलों से भरे टोकरे लेकर पहुंचते हैं और घर के मालिकों से मिठाई और चावल की दुआएं प्राप्त करते हैं। इसे सौभाग्य और समृद्धि की प्रतीक माना जाता है।

‘फूलदेई’ का यह उत्सव मुख्य रूप से बच्चों द्वारा मनाया जाता है, जो अपने आस-पास के घरों में जाते हैं और फूलों के टोकरे लेकर शुभकामनाएं और दुआएं प्राप्त करते हैं। बच्चे यह टोकरे घर-घर जाकर फूलों से सजाते हैं और घर के बुजुर्गों से मिठाई, चावल, और कभी-कभी रुपये भी प्राप्त करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को आशीर्वाद देना और उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना करना होता है। इसके अलावा, यह त्यौहार प्राकृतिक सुंदरता को सम्मानित करने का भी एक माध्यम है, क्योंकि इसमें फूलों की महक और रंग-बिरंगे दृश्य पूरे क्षेत्र को भर देते हैं।

‘फूलदेई’ की परंपरा उत्तराखंड की कृषि प्रधान संस्कृति से जुड़ी हुई है। इस दिन फूलों का संग्रह करना और उन्हें घर में सजाना इस बात का प्रतीक है कि अच्छे समय और समृद्धि की शुरुआत हो रही है। साथ ही, यह पर्व सर्दियों के बाद गर्मियों के आगमन को भी दर्शाता है। यहां के लोग मानते हैं कि इस दिन की पूजा से उनके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

इस दिन को लेकर नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र के लोग खासतौर पर उत्साहित रहते हैं। फूलदेई की सुबह जैसे ही होती है, बच्चे अपने घरों के आंगन में फूलों से सजावट करना शुरू कर देते हैं। महिलाएं विशेष रूप से इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाती हैं और अपने बच्चों को खुश रखने के लिए उन्हें मिठाइयों और शुभकामनाओं से नवाजती हैं।

‘फूलदेई’ का पर्व सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बड़े-बूढ़ों के लिए भी एक खास दिन होता है। इस दिन बुजुर्गों से बच्चों को आशीर्वाद मिलता है, जो उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना का प्रतीक माना जाता है। नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र के लोग इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाते हैं, और यह दिन यहां की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा बन चुका है।

अंततः, फूलदेई एक ऐसा पर्व है, जो उत्तराखंड की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखता है। यह न केवल सौभाग्य और समृद्धि की कामना करता है, बल्कि यह बच्चों के लिए खुशी और उमंग का अवसर भी प्रदान करता है। नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र के लोग इस दिन को विशेष रूप से मनाकर अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और संस्कृति को सम्मानित करते हैं, और साथ ही एक दूसरे के जीवन में सुख-शांति की कामना करते है 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

en_USEnglish