होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रिंस कुकरेजा ने बताया कि इस तरह की स्थिति राजधानी में कोरोना काल के समय बनी थी। सैलानी पूछताछ के लिए फोन कर रहें हैं लेकिन बुकिंग नहीं करवा रहे।
पिछले हफ्ते यह संख्या दो फीसदी तक ही सीमित थी। आमतौर पर जुलाई और अगस्त में सैलानी गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। होटलों में जगह मिलना मुश्किल होता था। इस बार भारी बारिश से हुई तबाही के चलते न केवल यहां का होटल व्यवसाय ठप पड़ा है बल्कि छोटे और मध्य वर्ग के व्यापारी भी संकट में आ गएl
इन्हें घर का खर्चा तक चलाना मुश्किल हो गया है। कारोबारियों के अनुसार राजधानी में दोबारा कोरोना काल जैसी स्थिति बन गई है। गौरतलब है कि शिमला शहर का तमाम कारोबार सैलानियों की आवाजाही पर निर्भर है। सैलानियों की संख्या बढ़ने पर करियाना की खरीदारी भी बढ़ती है। इसके अलावा शहर के अन्य सामान की बिक्री भी सैलानियों पर ही निर्भर होती है।
होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रिंस कुकरेजा ने बताया कि इस तरह की स्थिति राजधानी में कोरोना काल के समय बनी थी। सैलानी पूछताछ के लिए फोन कर रहें हैं लेकिन बुकिंग नहीं करवा रहे। आने वाले दिनों में अगर मौसम साफ रहेगा तो कारोबार में तेजी आने की उम्मीदl