श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में आपातकाल की घोषणा को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया

कोलंबो: श्रीलंका की सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार, 23 जुलाई को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि जुलाई 2022 में देश में आपातकाल घोषित करना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था। यह फैसला न्यायालय की तीन-सदस्यीय पीठ ने दिया।

तीन नागरिक समाज संगठनों द्वारा अगस्त 2022 में याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें कहा गया था कि तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा 18 जुलाई 2022 को आपातकाल घोषित करने का निर्णय संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन था।

जुलाई 2022 में श्रीलंका एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था। इससे पहले अप्रैल 2022 में देश ने स्वतंत्रता (1948) के बाद पहली बार संप्रभु कर्ज चूक (sovereign default) की घोषणा की थी। इस अभूतपूर्व आर्थिक संकट और जनाक्रोश के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे को पद छोड़ना पड़ा था। उनके इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।

सरकार ने जुलाई 2022 में देशभर में बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए आपातकाल लागू किया था, लेकिन नागरिक संगठनों ने इसे लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रताओं पर कुठाराघात बताया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को नागरिक अधिकारों की दिशा में एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह फैसला बताता है कि संकट की घड़ी में भी संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। यह फैसला भविष्य में सरकारों के लिए भी एक कानूनी दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करेगा।

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