सरहुल महोत्सव मे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित पत्नी कल्पना सोरेन भी उपस्थित

रांची/झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज रांची के सिरम टोली में आयोजित सरना समिति द्वारा आयोजित सरहुल महोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में उनके साथ उनकी पत्नी, विधायक कल्पना सोरेन भी उपस्थित थीं। राज्य भर में प्रकृति पर्व सरहुल महोत्सव की धूम मची हुई है, और इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना समाज की परंपराओं को सम्मानित किया।

सरहुल महोत्सव, जो प्रकृति और विशेष रूप से पेड़-पौधों की पूजा का पर्व है, आदिवासी समुदाय के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है। यह पर्व न केवल पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का भी एक प्रमुख माध्यम है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्यवासियों को सरहुल महोत्सव की शुभकामनाएं दीं और इसे सामूहिक सौहार्द का प्रतीक बताया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “सरहुल महोत्सव हमारे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से हमें अपने पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।” उन्होंने आदिवासी समाज के उत्थान और उनके अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।

कार्यक्रम में विधायक कल्पना सोरेन ने भी अपनी बात रखी और आदिवासी समाज के बीच एकजुटता और समृद्धि के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सरकार आदिवासी समाज के कल्याण के लिए काम कर रही है और सरहुल महोत्सव एक ऐसा अवसर है जब हम सभी अपनी संस्कृति और परंपराओं को साथ मिलकर मनाते हैं।”

सरहुल महोत्सव के इस आयोजन में आदिवासी समुदाय के लोगों ने पारंपरिक गीत, नृत्य और पूजा-अर्चना की। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए, जिनमें आदिवासी समाज की विविधतापूर्ण संस्कृति का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। समारोह में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर राज्य में आदिवासी समाज की सुरक्षा और उनके विकास के लिए सरकार की योजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “सरकार आदिवासी समाज की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के लिए लगातार काम कर रही है। हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि आदिवासी समाज के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और उनका जीवन स्तर बेहतर हो।”

सरहुल महोत्सव राज्य भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व आदिवासी समाज के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व प्रकृति से जुड़ी श्रद्धा और सम्मान की भावना को जागृत करता है और समाज में सामूहिक सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है।

इस महोत्सव के दौरान आदिवासी समाज के लोग अपने परंपरागत परिधान पहनकर एकजुट होते हैं और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी समृद्ध धरोहर को प्रस्तुत करते हैं। राज्य सरकार की ओर से भी इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षण और प्रचार मिल सके। सरहुल महोत्सव न केवल आदिवासी समाज के लिए बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति और उनके द्वारा दी गई शुभकामनाएं इस महोत्सव को और भी खास बनाती हैं। यह पर्व न केवल सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की समृद्धि, सौहार्द और एकता का भी संदेश देता है।

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