छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत अब गंभीर चिंता का विषय बन गई है। दैनिक जागरण की विशेष रिपोर्ट “कितने सुरक्षित हैं स्कूल?” के प्रकाशन के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की है। रिपोर्ट में उजागर किया गया कि प्रदेश में हजारों स्कूल भवन इतने कमजोर हो चुके हैं कि ये बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिले में जर्जर स्कूल भवनों का सर्वेक्षण कर प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कार्य शुरू करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी हालत में जर्जर भवनों में कक्षाएं नहीं चलेंगी। आवश्यकता पड़ने पर वैकल्पिक अस्थायी कक्षाओं की व्यवस्था की जाएगी।
प्रदेश में कुल 8106 सरकारी स्कूल भवन जर्जर स्थिति में हैं, जिनमें से 3789 स्कूल भवनों की हालत अत्यंत गंभीर है। बरसात के मौसम में इन भवनों के गिरने का खतरा और भी बढ़ जाता है। पिछले वर्षों में अन्य राज्यों में स्कूल भवन गिरने से कई गंभीर हादसे सामने आए हैं, जिससे बच्चों और शिक्षकों की जान जोखिम में पड़ गई थी।
शिक्षा विभाग ने जिला प्रशासन को बजट व्यवस्था, तकनीकी निरीक्षण और मरम्मत कार्यों की निविदा प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं। अभिभावक और शिक्षक समुदाय ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे बच्चों के सुरक्षित और बेहतर शिक्षा वातावरण की दिशा में आवश्यक कदम बताया है।
छत्तीसगढ़ सरकार का स्पष्ट संदेश है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और जर्जर स्कूल भवनों को प्राथमिकता के आधार पर सुधारने के लिए तत्परता जरूरी है।

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