बिहार में लोकतंत्र की नींव पर हमला: पूर्व नौकरशाहों ने जताई चिंता

नई दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा): बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर 90 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला है और इसके कारण बड़ी संख्या में लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

तीन अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्र सरकार की विभिन्न सेवाओं से सेवानिवृत्त 93 वरिष्ठ अधिकारियों ने एक खुले पत्र के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची का यह विशेष पुनरीक्षण निरर्थक है और यदि इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू किया गया, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि इस प्रक्रिया के चलते ऐसे नागरिकों को मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा, जिनके पास नागरिकता साबित करने के लिए उचित दस्तावेज़ नहीं हैं, भले ही वे लंबे समय से भारत में रह रहे हों और चुनावों में भाग लेते आए हों।

पत्र में इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया गया है कि नागरिकों को मताधिकार से वंचित करना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग से मांग की है कि इस विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए और इसकी निष्पक्षता व वैधता की समीक्षा की जाए।

पूर्व अधिकारियों ने चेताया कि यदि ऐसी प्रक्रिया को अनियंत्रित रूप से लागू किया गया, तो इससे लोकतंत्र में आम नागरिकों की भागीदारी कम होगी और देश में सामाजिक व राजनीतिक अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

en_USEnglish