इंजीनियर करता रहा 3 साल तक जिला अस्पताल में मरीजों का इलाज, डिग्री राजीव गुप्ता की – दवा लिखता रहा अभिनव सिंह |

एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक इंजीनियर ने पूरे तीन साल तक जिला अस्पताल में डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज किया। हैरानी की बात यह है कि वह किसी भी मेडिकल कॉलेज का छात्र नहीं था, बल्कि उसने राजीव गुप्ता नाम के असली डॉक्टर की डिग्री और पहचान का इस्तेमाल किया।

कैसे पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर?

अस्पताल प्रशासन को तब शक हुआ जब कुछ स्टाफ ने देखा कि इलाज के तरीके और मेडिकल ज्ञान में कई बार गंभीर त्रुटियाँ हो रही हैं। जांच में पता चला कि जो व्यक्ति खुद को “डॉ. राजीव गुप्ता” बता रहा था, वह असल में अभिनव सिंह है—पेशा इंजीनियरिंग, लेकिन पहचान डॉक्टर की।

3 साल तक बेखौफ मरीजों को देता रहा दवाइयाँ

जांच में यह भी सामने आया कि अभिनव सिंह ने

  • मरीजों की ओपीडी देखी,

  • दवाइयाँ लिखीं,

  • कई मामलों में आपातकालीन में भी ड्यूटी की,

  • और सीनियर डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में सलाह भी देता था।

कई मरीजों ने मान लिया था कि वह असल में डॉक्टर है क्योंकि उसकी पहचान पत्र, कोट और रजिस्ट्रेशन नंबर सब असली लगते थे—जो वास्तव में राजीव गुप्ता का था

अस्पताल प्रशासन में हड़कंप

घटना सामने आते ही अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। शीर्ष अधिकारियों ने माना कि सुरक्षा और सत्यापन प्रक्रिया में बड़ी चूक हुई है।
स्वास्थ्य विभाग भी इस बात से दंग है कि कोई व्यक्ति बिना मेडिकल डिग्री के इतने लंबे समय तक सरकारी अस्पताल में सेवा दे सकता है।

फर्जी डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज

अभिनव सिंह पर अब

  • धोखाधड़ी,

  • जालसाजी,

  • और मरीजों की जान को खतरे में डालने
    के गंभीर आरोप दर्ज किए गए हैं।

मरीजों की जान जोखिम में थी

विशेषज्ञों का कहना है कि बिना प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा इलाज किया जाना बड़ी लापरवाही है और इससे मरीजों की जान गंभीर खतरे में पड़ सकती थी।

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