दिल्ली में मोहन भागवत और मुस्लिम विद्वानों के बीच अहम बैठक, आपसी संवाद जारी रखने पर सहमति

नई दिल्ली, 24 जुलाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं, इमामों और विद्वानों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद को मजबूत करना और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना था।

बैठक का आयोजन ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख उमेर अहमद इलियासी की पहल पर किया गया, जो हरियाणा भवन में संपन्न हुई। इस अवसर पर संघ के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे, वहीं दूसरी ओर देश भर से आए करीब 60 मुस्लिम धर्मगुरु, जिनमें इमाम, मुफ्ती और मदरसों के मोहतमिम (कुलपति) शामिल थे, उन्होंने भी भाग लिया।

बैठक में यह साझा सहमति बनी कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद को और अधिक सक्रिय और नियमित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। साथ ही, यह विचार भी सामने आया कि देश के इमाम और मंदिरों के पुजारी आपस में संवाद करें, जिससे दोनों समुदायों के बीच भ्रांतियाँ दूर हों और विश्वास का माहौल बने।

सूत्रों के अनुसार, मोहन भागवत ने इस दौरान कहा कि भारत की आत्मा सर्वधर्म समभाव में निहित है, और यही भावना देश की विविधता को एक सूत्र में बांधती है। उन्होंने कहा कि संवाद और समझ ही सामाजिक सौहार्द की नींव है। वहीं, मौलानाओं ने भी संघ प्रमुख के साथ खुलकर चर्चा की और अपनी चिंताओं व सुझावों को साझा किया।

उमेर अहमद इलियासी ने बैठक के बाद कहा, “देश की भलाई तभी संभव है जब सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे को समझें और मिलकर समाज में सकारात्मकता फैलाएं।” उन्होंने यह भी बताया कि आगे चलकर इस तरह की और बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिनमें जमीनी स्तर पर धर्मगुरु भाग लेंगे।

इस पहल को सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक समरसता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि देश के धर्मगुरु मिलकर एकजुटता का संदेश दें तो समाज में विश्वास और शांति को मजबूती मिल सकती है।

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