महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट में हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई 2025 को होगी।

11 जुलाई 2006 को मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में धमाके हुए थे, जिनमें लगभग 190 लोग मरे और सैकड़ों घायल हुए थे।
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सबूतों की कमी, संदिग्ध पहचान पर सवाल (पहचान परेड 4 महीने बाद कराना), और कबूलियों की मान्यता को चुनौती देते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें से कुछ आरोपियों को पहले मौत की सजा और आजिवन कारावास हो चुक

इसी फैसले के बाद एहतेशाम सिद्दीकी और मोहम्मद अली जैसे दो आरोपियों को नागपुर जेल से रिहा किया गया।
पीड़ितों और उनके परिवारों ने इस फैसले पर गहरा आघात और नाराजगी जताई है। वे न्याय में देरी और दोषी व्यक्तियों की रिहाई से बहुत हताश और खिन्न ।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है, और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की मांग करे।हाईकोर्ट के फैसले में सीडीआर जैसे तकनीकी सबूतों की कमी, पहचान प्रक्रिया और कबूलियों की वैधता को चुनौती देना।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को इस मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा था कि इन आरोपियों के खिलाफ को पुख्ता सबूत देने में अभियोजन पक्ष नाकाम रही है।

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