पाकिस्तान ने 8,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर किया

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने देशभर में चल रहे एक अभियान के तहत 8,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर कर दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान में रह रहे अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, यह निर्वासन ‘अफगान सिटीजन कार्ड’ (एसीसी) धारकों की स्वैच्छिक वापसी की निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने के बाद तेज़ी से किया गया है।

31 मार्च 2025 को स्वैच्छिक वापसी की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद, सरकार ने उन अफगान नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है जो एसीसी के माध्यम से अस्थायी रूप से पाकिस्तान में रह रहे थे, लेकिन तय समय पर वापस नहीं लौटे। अधिकारियों का कहना है कि इन शरणार्थियों को मानवाधिकारों का पालन करते हुए सीमा पार अफगानिस्तान भेजा गया है।

पाकिस्तान में लाखों अफगान शरणार्थी दशकों से रह रहे हैं, जिनमें से कई 1979 में सोवियत आक्रमण के बाद भागे थे, और फिर तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद उनकी संख्या में और वृद्धि हुई। हालांकि, पाकिस्तान सरकार अब देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर सख्त रुख अपनाए हुए है। पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान ने सभी अवैध प्रवासियों को देश छोड़ने के लिए चेतावनी दी थी, जिसके बाद से बड़े पैमाने पर निर्वासन की कार्रवाई शुरू की गई।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के तहत न केवल एसीसी धारकों को, बल्कि उन लोगों को भी लक्षित किया जा रहा है जिनके पास कोई वैध पहचान या कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। इस कदम का उद्देश्य देश की सुरक्षा, संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और आंतरिक शांति सुनिश्चित करना बताया जा रहा है।

हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार की इस नीति की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह नीति न केवल अमानवीय है, बल्कि अफगान नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करती है, क्योंकि अफगानिस्तान में अब भी राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का माहौल बना हुआ है। कई शरणार्थी परिवारों को वापस भेजने से उन्हें गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, पाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह कदम देश की संप्रभुता और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है। सरकार का तर्क है कि वे केवल उन लोगों को निर्वासित कर रहे हैं जो अवैध रूप से देश में रह रहे हैं और जिन्होंने स्वैच्छिक वापसी की निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक हजारों अफगान नागरिक पाकिस्तान छोड़ चुके हैं, और यह अभियान आने वाले हफ्तों में भी जारी रहेगा। सीमा चौकियों पर निगरानी को बढ़ा दिया गया है और सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी अवैध आव्रजन को रोका जा सके।

इस पूरे घटनाक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर बनी हुई है और अब यह देखा जाना बाकी है कि यह नीति क्षेत्रीय स्थिरता और मानवाधिकारों पर क्या प्रभाव डालेगी।

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