हमारे देश में दुनिया का सबसे अच्छा लौह अयस्क का भंडार

हमारे देश में दुनिया का सबसे अच्छा लौह अयस्क का भंडार है, और यह एक ऐसी संपत्ति है, जिसका इस्तेमाल करके हम दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में अपनी जगह बना सकते थे। चीन, जापान और कोरिया जैसे देश हमारे लौह अयस्क का भारी मात्रा में आयात करते हैं। यह अयस्क वहां से स्टील के रूप में संवर्धित होकर वापस आता है, और फिर उससे बने सामान हम इन्हीं देशों से आयात करते हैं। हैरानी की बात यह है कि हमारे पास इतना बड़ा लौह अयस्क का भंडार होने के बावजूद, हम वही स्टील और अन्य उत्पाद चीन जैसे देशों से खरीद रहे हैं। इस स्थिति में हमारी ‘मेक इन इंडिया’ योजना कहां जा रही है?

चीन से स्टील के अलावा, हाल ही में हमारे रेलवे ने चीन से रेल के पहिए आयात किए हैं। यह एक और उदाहरण है कि हम अपने देश में तकनीकी और औद्योगिक क्षमता के बावजूद अपनी ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। हमारे कारख़ानों में इतने बड़े पैमाने पर रेल के पहिए बनाने की क्षमता नहीं है, जबकि हम दुनिया के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक हैं। इसका क्या मतलब है? क्या हमारी उत्पादन क्षमता में कमी है या फिर हमारी प्राथमिकताएं कहीं और हैं?

आजकल हम अपने देश की तीन-चार सौ साल पुरानी कब्रों की खुदाई और मस्जिदों के सामने डीजे पर आपत्तिजनक नारे लगाने में व्यस्त हैं, जबकि हमें रेल के पहियों का आयात करना पड़ता है। यह संकेत देता है कि हमारी ऊर्जा और संसाधन कहां खर्च हो रहे हैं। अगर हम अपनी ऊर्जा और संसाधनों को सही दिशा में लगाते, तो शायद हम अपने उद्योगों को बेहतर बना सकते थे, और आयात पर निर्भरता कम हो सकती थी।

यह समय है जब हमें अपने राष्ट्रीय हितों और विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। ‘मेक इन इंडिया’ को सच्चे अर्थों में लागू करना होगा, ताकि हम अपने उत्पादों का निर्माण खुद कर सकें और विदेशों से आयात पर निर्भरता कम कर सकें।

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