पुणे के पास मुळा नदी झागदार होने से गंभीर पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ उत्पन्न

पिंपल नीलाख, पुणे के पास मुळा नदी पिछले दो दिनों से झागदार हो गई है, जिससे गंभीर पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं। यह नदी, जो पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के बीच विभाजन करती है, अब रासायनिक कचरे और बिना उपचारित सीवेज से प्रदूषित हो गई है। यह प्रदूषण मुख्य रूप से हिंजवाडी स्थित उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट और गंदे पानी के कारण हो रहा है।

नदी में प्रदूषण के कारण मच्छलियों की सामूहिक मृत्यु हो गई है, जो जल जीवन के लिए एक गंभीर संकट बन गया है। इसके अलावा, इस प्रदूषण का प्रभाव स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। पानी में रासायनिक पदार्थों और सीवेज के मिश्रण के कारण नदी के पानी में जहर फैलने की आशंका है, जिससे पानी पीने और उसका उपयोग करने वाले लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।

स्थानीय निवासी और पर्यावरणविद इस प्रदूषण के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह समस्या समय रहते हल नहीं की गई, तो इसका असर न केवल पर्यावरण पर, बल्कि स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य पर भी होगा। कई लोग तो यह भी कहते हैं कि नदी के प्रदूषित पानी का उपयोग करने से गंभीर बीमारियाँ फैल सकती हैं, जैसे कि त्वचा संक्रमण, पेट की बीमारियाँ और अन्य जलजनित रोग।

मुला नदी, जो कभी पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के बीच एक जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी, अब एक गंभीर संकट का रूप ले चुकी है। प्रदूषण का कारण मुख्य रूप से उन उद्योगों द्वारा छोड़े गए रासायनिक अपशिष्ट हैं, जो नदी के पास स्थित हैं। इन उद्योगों द्वारा अव्यवस्थित तरीके से अपशिष्ट जल का निपटान किया जा रहा है, जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो गया है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें इस स्थिति से निपटने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) और नगरपालिका प्राधिकरण से वे शीघ्र कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, पर्यावरणविदों का मानना है कि इस प्रदूषण के कारण जल जीवन की समाप्ति हो सकती है, और अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह समस्या और भी बढ़ सकती है।

स्थानीय निवासियों का यह भी कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए मजबूत निगरानी और कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। उद्योगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि इस प्रकार के प्रदूषण का पुनरावृत्ति न हो। इसके अलावा, जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को साफ पानी मिल सके और पर्यावरण की रक्षा हो सके।

इस स्थिति को देखते हुए, अब यह समय है कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के नागरिक, पर्यावरण संरक्षण संगठन और सरकारी एजेंसियाँ मिलकर इस संकट से निपटने के लिए एक साथ कदम उठाएं।

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