प्रगति की और बढ़ती महिलाओं के कदम को अभी अनगिनत पड़ाव देखना बाकी है।

कुमारी रंजना प्रधान संपादक द मीडिया टाइम्स 

अब जबकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन में सिर्फ 48 घंटे बाकी है UN का एक रिपोर्ट यह बता रहा है कि when world leaders adopted a historic blueprint of “Gender Equality “but new United Nations report says women’s and girls’ rights are under attack and gender discrimination remains deeply embedded in economies and societies . मतलब महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है और आज भी आर्थिक और सामाजिक रूप से महिलाओं को गहरे भेद भाव का सामना करना पड़ रहा है।

इस दिन की शुरुआत सन 1908 से मानी जाती है लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1975 में आधिकारिक तौर पर इसे 8 मार्च को मनाये जाने की मान्यता दी और अब 50 साल बाद UN का हालिया रिपोर्ट सामने जब आया है तो महिला दिवस पर एक प्रश्न चिन्ह लगता प्रतीत होता है? आखिर हम कहां चूक रहे है?

वैसे 8 मार्च 2025 महिला दिवस का थीम “तेजी से कार्रवाई करें’ (Accelerate Action) निर्धारित किया गया है , यह टीम अपने आप को परिभाषित करता है कि त्वरित करवाई का आभाव और न्यायिक सुरक्षा को खतरा। फिर भी थीम निर्धारित है तो विकाश की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समाज में महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने और उनके खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य के दुनिया भर में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

यह दिवस लोगों, सरकारों और संगठनों को महिलाओं के उत्थान, समान अवसर प्रदान करने और भेदभाव समाप्त करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है।दुनियाभर में 8 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day 2025) सेलिब्रेट किया जायेगा।

यह दिवस लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रतीक है। आधुनिक समाज में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, फिर भी वे कई चुनौतियों और भेदभाव का सामना कर रही हैं। 8 मार्च को सार्थक रूप दे सकें,हम महिला दिवस के महत्व, इतिहास, नारी सशक्तिकरण की जरूरत और आज के समाज में महिलाओं की स्थिति के बारे में चर्चा कर रहे हैं।

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