धार्मिक उत्पीड़न और सेक्युलरिज़्म से जुड़े मामलों में राज्य को दिखानी होगी पारदर्शिता

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब मामला धार्मिक उत्पीड़न और धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज़्म) से जुड़ा हो, तो राज्य को अत्यधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता दिखानी चाहिए।

न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं। ऐसे में किसी भी समुदाय या व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव या उत्पीड़न अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रशासनिक और कानूनी स्तर पर लिए जाने वाले निर्णयों में पारदर्शिता और न्यायसंगत दृष्टिकोण होना आवश्यक है ताकि जनता का विश्वास बरकरार रहे।

उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक या साम्प्रदायिक मामलों में सरकार की भूमिका केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन न हो।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब देश में धर्म और राजनीति से जुड़ी बहसें लगातार तेज हो रही हैं। न्यायमूर्ति संजय कुमार के बयान को संविधान में निहित ‘धर्मनिरपेक्षता’ के मूल सिद्धांत की पुनः पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।

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