गणगौर का त्योहार:
गणगौर का त्योहार राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। गणगौर का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तेरहवीं से एकादशी तक मनाया जाता है। यह त्यौहार होली के बाद और राम नवमी से पहले आता है। खासकर राजस्थान में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जहां इसका महत्व और मान्यता बहुत अधिक है।
गणगौर की मान्यता:
गणगौर का त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव और Goddess पार्वती की पूजा से जुड़ा हुआ है। इसे पार्वती जी के सम्मान में मनाया जाता है, जिनकी पूजा से शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां भी इस दिन पार्वती जी की पूजा करके अच्छे पति की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
मान्यता है कि गणगौर पूजा के दिन पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तब भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन विशेष रूप से गणगौर की प्रतिमा को सजाया जाता है, और उसका पूजन किया जाता है। इस पूजन में महिलाएं गौरी-गणगौर की प्रतिमाओं को सजाती हैं और उनका विधिपूर्वक पूजन करती हैं।
गणगौर पूजा की प्रक्रिया:
गणगौर का पर्व विशेष रूप से महिलाएं अपने घरों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाती हैं। इस दिन महिलाएं न केवल पारंपरिक रूप से पूजा करती हैं, बल्कि अपने आभूषणों को भी सजाती हैं। गणगौर की पूजा का तरीका अलग-अलग जगहों पर थोड़ा बदल सकता है, लेकिन आमतौर पर पूजा की प्रक्रिया एक जैसी होती है। महिलाएं पहले तो गणगौर की मूर्तियों को अच्छे से धोकर उनका श्रृंगार करती हैं और फिर उन्हें अच्छे स्थान पर स्थापित करती हैं। इसके बाद, पूजा का आयोजन करती हैं, जिसमें हल्दी, कुमकुम, फूल, और खासतौर पर गेहूं की बालियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवासी रहती हैं और केवल पूजा में सामिल होती हैं।
गणगौर की यात्रा:
गणगौर का पर्व न केवल घरों में मनाया जाता है, बल्कि इस दिन खासतौर पर महिलाएं एक-दूसरे के घर जाती हैं और वहां पर पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं बहुत ही रंगीन और खूबसूरत कपड़े पहनती हैं और पारंपरिक गहनों से सजी होती हैं। खासतौर पर राजस्थान में, महिलाएं “गणगौर यात्रा” के रूप में सड़कों पर भी जाती हैं। यह यात्रा बहुत ही आकर्षक होती है, जिसमें महिलाएं गीत गाते हुए और ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य करती हैं। यह यात्रा आमतौर पर शहर के प्रमुख मंदिरों में समाप्त होती है, जहां महिलाएं अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। गणगौर का त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। यह महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उन्हें अपनी पारंपरिक मान्यताओं के साथ जोड़ता है। इस दिन का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक उत्सव भी है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा देता है। गणगौर का त्योहार एक अद्भुत मिश्रण है श्रद्धा, सौंदर्य और सामाजिक संबंधों का, जो हर साल महिलाओं को अपनी खुशहाली और समृद्धि की दिशा में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

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