नई दिल्ली: देशभर के आदिवासी बच्चों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके तहत 76 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों (EMRS) को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित स्कूल
समझौते के अनुसार, इन स्कूलों में अत्याधुनिक क्लासरूम, कंप्यूटर और डिजिटल लर्निंग लैब, विज्ञान प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और खेल परिसर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, छात्रों के लिए बेहतर आवासीय व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं और स्मार्ट क्लासरूम भी प्रदान किए जाएंगे।
जनजातीय मंत्रालय का कहना है कि इस पहल से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के योग्य बनाया जा सकेगा।
कोल इंडिया की सामाजिक जिम्मेदारी
कोल इंडिया लिमिटेड ने इस पहल में महत्वपूर्ण योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई है। कंपनी के अनुसार, यह समझौता उनके कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) कार्यक्रम के तहत आदिवासी क्षेत्रों के विकास में बड़ा कदम है।
मंत्रालय का कहना है कि यह पहल न केवल शिक्षा बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव लाएगी। खासकर छात्राओं के लिए सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन और इन्सिनरेटर एक महत्वपूर्ण कदम है। जुअल ओराम ने कहा कि कोल इंडिया की इस पहल से अन्य कंपनियों को भी आदिवासी शिक्षा में योगदान देने की प्रेरणा मिलेगी।
वहीं, जी किशन रेड्डी ने इसे कोल इंडिया के CSR प्रयासों का विस्तार बताते हुए कहा कि यह सहयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और आजीविका को बढ़ावा देगा।
देशभर में 479 EMRS संचालित
फिलहाल देश में 479 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल संचालित हो रहे हैं, जहां आदिवासी बच्चों को शिक्षा के साथ पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और समग्र विकास के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नए समझौते से इन स्कूलों की गुणवत्ता और बेहतर होगी।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन स्कूलों के आधुनिकीकरण से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा और करियर के नए अवसर मिलेंगे। सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में सभी एकलव्य मॉडल स्कूलों को उच्चस्तरीय सुविधाएं प्रदान कर उन्हें आदिवासी शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।
भविष्य की उम्मीदें
इस समझौते के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि हजारों जनजातीय छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल होगा। शिक्षा और विकास के इस नए अध्याय के माध्यम से आदिवासी बच्चों को समृद्ध और सशक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ाने का अवसर मिलेगा

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