औरंगजेब विवाद पर नितेश राणे का विवादित बयान: महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल

महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने एक बार फिर अपने विवादित बयान से राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। औरंगजेब के संदर्भ में दिए गए उनके बयान ने राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा दिया है। कोकण में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए नितेश राणे ने कहा, ”औरंगजेब की कब्र को लेकर हमारी सरकार के प्रमुख की भी वही मानसिकता है। हम तैयार बैठे हैं। कब्र हटाते वक्त पत्रकारों को नहीं बताएंगे।” इस बयान ने त्वरित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं और मीडिया में चर्चाओं का विषय बन गया।

राणे ने आगे कहा कि, ”जब-जब हमने शिवाजी महाराज के किलों पर हुए अतिक्रमण को हटाया, तो हमने पहले अतिक्रमण को तोड़ा और फिर ब्रेकिंग न्यूज़ दी। हिंदू समाज को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि औरंगजेब की कब्र हटाने का कार्यक्रम जरूर होगा। यह तय है, और यह होने जा रहा है। सरकार के पास 5 साल हैं, अभी तो हम पिच पर आए हैं, सेंचुरी मारना है।”

उनके इस बयान से यह साफ जाहिर होता है कि वे औरंगजेब की कब्र को लेकर सरकार की योजना को लेकर काफी मुखर हैं और इसे लेकर कोई झिझक नहीं दिखाते। नितेश राणे ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की बात को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संघर्ष के रूप में प्रस्तुत किया। उनका यह बयान राज्य की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर गया है, जो पहले ही धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर काफी गर्माया हुआ है।

नितेश राणे ने अपने बयान में यह भी कहा, ”सुना है औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जितनी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी, उतना ही उस कार्यक्रम को करने में मजा आएगा।” इस बयान ने और भी विवाद पैदा किया है, क्योंकि यह सुरक्षा के मुद्दे पर तंज कसते हुए, औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर अपना पक्ष रखा।

उनके बयान का एक और प्रमुख बिंदु था, ”हमारे पत्रकार मित्र पूछते हैं कि कब्र कब निकाली जाएगी? लेकिन हम तुम्हें नहीं बताएंगे, जैसे बच्चे की बरही पर उसे नाम रखने के लिए नहीं बुलाते।” नितेश राणे ने इस बयान के माध्यम से मीडिया से यह कहने का प्रयास किया कि जब तक कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक वे इस मुद्दे पर और जानकारी नहीं देंगे।

नितेश राणे ने इस अवसर पर यह भी कहा कि, ”जब-जब हमने शिवाजी महाराज के किलों पर अतिक्रमण हटाए, तो क्या पत्रकारों को बताया कि सुबह 5 बजे कैमरा लेकर आना? नहीं बताया। पहले तोड़ा, फिर ब्रेकिंग न्यूज़ दी।” उनका कहना था कि उन्होंने जो ठान लिया है, वह होकर रहेगा, और हिंदू समाज को इस मामले में विश्वास दिलाया कि औरंगजेब की कब्र हटाने का कार्यक्रम निश्चित रूप से होगा।

नितेश राणे ने अंत में यह भी कहा, ”हमें यहां स्वराज्य रक्षक शिवाजी महाराज की यादें चाहिए, हमें स्वराज के विचार महाराष्ट्र में चाहिए। हमें ऐसी गंदगी नहीं चाहिए, औरंगजेब या टीपू सुलतान की गंदगी।” उनके इस बयान ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक नया मोड़ लिया, जहां वे औरंगजेब की कब्र को लेकर अपने विचारों को स्पष्ट रूप से सामने रखते हैं।

नितेश राणे का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर चुका है। इस मुद्दे पर अब राजनीतिक दलों के बीच तकरार बढ़ने की संभावना है। कांग्रेस और एनसीपी जैसे दलों के नेताओं ने इसे साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी और राणे के समर्थकों का कहना है कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलू है जिसे सुलझाना जरूरी है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में इस विवाद का समाधान किस दिशा में होता है।

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