SWIFT को चुनौती: कैसे BRICS देश बदल रहे हैं वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का समीकरण

BRICS समूह — जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं — अब पश्चिमी वित्तीय वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है अपनी वित्तीय संप्रभुता (financial sovereignty) को मजबूत करना और अमेरिकी प्रतिबंधों (U.S. sanctions) पर निर्भरता को कम करना।

SWIFT प्रणाली, जो अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग लेनदेन का प्रमुख माध्यम है, पश्चिमी देशों के नियंत्रण में है। BRICS देशों का मानना है कि इस प्रणाली के जरिए अमेरिका और यूरोप आर्थिक दबाव के उपकरण के रूप में काम करते हैं।

इस चुनौती के तहत BRICS अपने वैकल्पिक भुगतान तंत्र (alternative payment mechanism) और डिजिटल करेंसी नेटवर्क विकसित करने पर काम कर रहा है। रूस और चीन पहले ही अपने-अपने अंतरराष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क बना चुके हैं, जबकि भारत भी रुपे और UPI जैसे घरेलू डिजिटल मॉडल को वैश्विक स्तर पर जोड़ने की दिशा में अग्रसर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि BRICS देश एक संयुक्त भुगतान प्रणाली विकसित करने में सफल हो जाते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में शक्ति संतुलन को बदल सकता है — और पश्चिमी देशों की आर्थिक पकड़ कमजोर हो सकती है।

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