बिहार दिवस 2025: गर्व, संस्कृति और एकता का भव्य उत्सव

पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ में बिहार फाउंडेशन, पुणे चैप्टर द्वारा भव्य बिहार दिवस 2025 का आयोजन किया गया। यह आयोजन बिहार की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और उपलब्धियों का उत्सव था, जो प्रवासी बिहारियों को एकजुट करने और उनकी जड़ों से जोड़ने का एक सुनहरा अवसर साबित हुआ। पूरे कार्यक्रम में बिहार की कला, साहित्य, संगीत और गौरवशाली अतीत की झलक देखने को मिली।

कार्यक्रम की शुरुआत उत्साह और गर्व के साथ हुई। मधुबनी पेंटिंग्स, पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी को बिहार की मिट्टी की खुशबू से जोड़ दिया। मंच पर बिहार के ऐतिहासिक व्यक्तित्वों, साहित्यिक धरोहर और सामाजिक योगदानों को प्रदर्शित किया गया।

इस भव्य आयोजन में बिहार और महाराष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख अतिथियों में सांसद गोपाल ठाकुर, भाजपा बिहार कोषाध्यक्ष आशुतोष शंकर सिंह, महाराष्ट्र भाजपा नेत्री श्वेता शालिनी, विधायक अण्णा बंसोडे, युवा मोर्चा के अध्यक्ष अनूप मोरे और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। मंच पर विभिन्न वक्ताओं ने बिहार की प्रगति, विकास योजनाओं और सामाजिक उत्थान पर अपने विचार साझा किए।

सांसद गोपाल ठाकुर ने अपने संबोधन में बिहार में बढ़ते निवेश अवसरों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आज बिहार निवेशकों के लिए एक अनुकूल स्थान बन चुका है। राज्य सरकार द्वारा कई नए उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। हमें प्रवासी बिहारियों से उम्मीद है कि वे इस विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे।”

इस कार्यक्रम में राहुल रंजन महिवाल ने बिहार सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग क्षेत्रों में किए जा रहे सुधारों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “बिहार का विकास सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रवासी बिहारियों का भी इसमें अहम योगदान होना चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो परिवर्तन आए हैं, वे राज्य को एक नई दिशा में ले जा रहे हैं।”

वही  एस. के. सिंह ने बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “बिहार दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि हमारे गौरव को सहेजने का अवसर भी है। हमें अपनी परंपराओं, कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट होना होगा।”

बिहार फाउंडेशन पुणे के वाइस चेयरमैन संजीव कुमार ने बिहार के विकास और सामाजिक उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा, “यह कार्यक्रम न सिर्फ बिहारी समुदाय को जोड़ता है, बल्कि उन्हें अपने राज्य के उत्थान में भागीदार बनने के लिए प्रेरित करता है। हमें अपनी जड़ों को संजोकर बिहार को और सशक्त बनाना है।”

कार्यक्रम में भाजपा नेत्री श्वेता शालिनी और पिंपरी-चिंचवड़ के सांसद श्रीरंग बारणे ने बिहार के विकास में प्रवासी बिहारियों की भूमिका की सराहना की और उन्हें अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का संदेश दिया।

इस अवसर पर सांसद गोपाल ठाकुर ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले बिहारी व्यक्तियों को मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। यह सम्मान उन बिहारी प्रवासियों के लिए था, जिन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में बिहार का नाम रोशन किया है।

भोजन केवल स्वाद नहीं, यह एक भावना है, यह लोगों को जोड़ता है। बिहार अपने समृद्ध व्यंजनों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस आयोजन में इसका समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हो सका। बिहारी स्वादों की अनुपस्थिति खली, जिससे प्रवासी बिहारियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का पूरा अवसर नहीं मिल पाया।

कार्यक्रम के दौरान संगीत और लोकगीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक लोकगीतों से लेकर आधुनिक प्रस्तुतियों तक, हर परफॉर्मेंस ने बिहार की आत्मा को दर्शाया। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से बिहार की सांस्कृतिक विविधता को जीवंत कर दिया।

बिहार दिवस 2025 ने प्रवासी बिहारियों को अपने राज्य के गौरव और संस्कृति से जोड़ने का एक बेहतरीन मंच प्रदान किया। हालांकि, सांस्कृतिक विविधता को और व्यापक रूप से प्रस्तुत करने की आवश्यकता महसूस की गई। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह आयोजन और भी भव्य और समग्र होगा, जिसमें बिहार की कला, संस्कृति, इतिहास और व्यंजन को पूर्ण रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।

बिहार दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि अपनी जड़ों को संजोने, एक-दूसरे को जोड़ने और बिहार के गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का अवसर है।

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