पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को करना पड़ता है कई चुनौतियों का सामना

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के अंदर अंतरिक्ष यात्रियों को हवा में तैरते हुए देखना किसी भी व्यक्ति के लिए रोमांचक हो सकता है, लेकिन जब वे पृथ्वी पर लौटते हैं, तो यह अनुभव उतना आसान नहीं होता। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव के कारण शरीर पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, जिनका असर अंतरिक्ष यात्रियों पर पृथ्वी पर लौटने के बाद लंबे समय तक रहता है। उन्हें न केवल मतली, चक्कर आना और शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मुश्किलें होती हैं, बल्कि चलने, बात करने और सामान्य गतिविधियां करने में भी उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

इसका कारण यह है कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी से शरीर के सभी अंग इस माहौल के अनुकूल ढल जाते हैं। जैसे ही वे पृथ्वी पर लौटते हैं, उनके शरीर को पुनः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से ढलने में समय लगता है। इस स्थिति में अंतरिक्ष यात्री न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करते हैं।

हाल ही में, नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर तथा रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्सांद्र गोरबुनोव ने स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर वापसी की। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन साथ ही उनके शरीर को पुनः पृथ्वी की परिस्थितियों में ढालने की प्रक्रिया भी एक महत्वपूर्ण चुनौती रही।

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष चिकित्सा देखभाल और पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उनके शरीर के विभिन्न अंगों को सामान्य रूप से कार्य करने के लिए पुनः प्रशिक्षित किया जाता है। यह प्रक्रिया कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक चल सकती है, और अंतरिक्ष यात्रियों को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है।

इस प्रकार, अंतरिक्ष यात्रा न केवल एक शारीरिक और मानसिक चुनौती है, बल्कि इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद पृथ्वी पर लौटने के बाद भी कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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