ससून अस्पताल ने NIV से जमीन वापस मांगी, सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के निर्माण की योजना

पुणे का प्रतिष्ठित ससून जनरल अस्पताल अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) से जमीन वापस लेने की मांग कर रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि NIV को दी गई जमीन की लीज़ 2026 में समाप्त हो रही है और इस लीज़ को आगे बढ़ाने का वह विरोध करता है।
ससून अस्पताल का कहना है कि शहर में बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल को सुपर-स्पेशियलिटी सुविधाओं की अत्यंत आवश्यकता है। इसके लिए अस्पताल को अतिरिक्त जमीन चाहिए ताकि अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और चिकित्सा सुविधाएं विकसित की जा सकें।
NIV को दी गई थी लीज पर जमीन:
वर्षों पहले ससून अस्पताल की ओर से NIV को एक हिस्से की जमीन रिसर्च और वायरोलॉजिकल स्टडी के लिए लीज पर दी गई थी। लेकिन अब जब लीज की अवधि समाप्त होने वाली है, अस्पताल प्रशासन चाहता है कि यह जमीन उन्हें वापस मिले ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हो सके।
ससून अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यदि जमीन वापस मिल जाती है, तो वहां सुपर-स्पेशियलिटी ब्लॉक, आधुनिक लैब, और ICU सुविधाएं बनाई जाएंगी। इससे आम जनता को और बेहतर इलाज मिल सकेगा।
पुणे स्थित ससून जनरल अस्पताल ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) से एक महत्वपूर्ण मांग करते हुए वह जमीन वापस मांगी है, जो कई दशक पहले अनुसंधान कार्यों के लिए लीज पर दी गई थी। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि लीज की अवधि 2026 में समाप्त हो रही है, और अब NIV के साथ इसका नवीनीकरण नहीं किया जाना चाहिए।
ससून अस्पताल ने वर्षों पहले NIV को एक बड़ी जमीन रिसर्च और वायरोलॉजी के कार्यों के लिए दी थी। वर्तमान में ससून अस्पताल के पास सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं, ICU, नई ऑपरेशन थिएटर यूनिट, कार्डियक केयर यूनिट, और कैंसर केयर यूनिट के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। अस्पताल हर दिन हजारों मरीजों को सेवाएं देता है और अब मौजूदा ढांचे से उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
बढ़ती मरीजों की संख्या: ससून अस्पताल में रोज़ाना आने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे अस्पताल पर दबाव बढ़ा है।
सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं की जरूरत: आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं को विकसित करने के लिए नए भवनों और तकनीकी ढांचे की जरूरत है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता: चूंकि ससून एक सरकारी अस्पताल है, इसलिए इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को बेहतर चिकित्सा सेवा देना है।
अस्पताल ने राज्य सरकार से अपील की है कि NIV को वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराई जाए और वर्तमान भूमि ससून अस्पताल को विकास कार्यों के लिए लौटाई जाए। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक हित में होगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी देश में वायरस अनुसंधान का सबसे बड़ा केंद्र है और कोरोना महामारी के समय इस संस्था की भूमिका बेहद अहम रही थी। NIV फिलहाल इस जमीन पर अपनी प्रयोगशालाएं और ऑफिस संचालित करता है।
यह विवाद फिलहाल राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच विचाराधीन है। दोनों संस्थाओं के हितों को देखते हुए सरकार को संतुलित निर्णय लेना होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर NIV को स्थानांतरित किया जाता है, तो उसके लिए भी समुचित वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था करना जरूरी होगा।
ससून अस्पताल की यह मांग पुणे जैसे बड़े शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार देने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस प्रकार दोनों संस्थाओं के बीच संतुलन बनाते हुए निर्णय लेती है – ताकि न अनुसंधान प्रभावित हो और न ही आम नागरिकों की चिकित्सा सेवाएं।

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