लातूर में खेत से मिला नशे का जखीरा, मुंबई पुलिस का कांस्टेबल बना मास्टरमाइंड

महाराष्ट्र के लातूर जिले के रोहिणा गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरानी में डाल दिया है। मुंबई पुलिस का एक कांस्टेबल ही करोड़ों की ड्रग्स तस्करी और निर्माण का मास्टरमाइंड निकला है। डीआरआई और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए एक खेत में बने अस्थायी शेड से 17 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग्स जब्त की है। इस ऑपरेशन में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मुख्य आरोपी प्रमोद केंद्रे है, जो खुद मुंबई पुलिस में कार्यरत है।

जानकारी के अनुसार, आरोपी प्रमोद और उसके साथी मुंबई से ड्रग्स बनाने का कच्चा माल लाते थे और उसे रोहिणा गांव के एक खेत में स्थापित की गई मिक्सिंग यूनिट में प्रोसेस करते थे। खेत में लगे एक साधारण शेड को ही प्रयोगशाला में बदल दिया गया था। पुलिस ने वहां से 11 किलो 360 ग्राम ड्रग्स बरामद की है, जिसमें 8 किलो 440 ग्राम ठोस रूप में और 2 किलो 921 ग्राम तरल रूप में मौजूद था। इसके अलावा मौके से भारी मात्रा में रसायन और ड्रग्स निर्माण से संबंधित उपकरण भी जब्त किए गए हैं।

यह पूरी कार्रवाई तब शुरू हुई जब एजेंसियों को इनपुट मिला कि गांव के एक खेत में संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं। छापेमारी के दौरान मिले साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह रैकेट लंबे समय से सक्रिय था। बरामद किए गए रसायनों और अन्य सामग्रियों से स्पष्ट है कि यहां पर व्यावसायिक स्तर पर ड्रग्स का उत्पादन किया जा रहा था।

गिरफ्तार आरोपियों में शामिल पुलिस कांस्टेबल मीरा रोड के नया नगर थाने में तैनात था। जांच में यह भी सामने आया है कि इस गैंग में हर सदस्य की जिम्मेदारी तय थी – कोई निर्माण प्रक्रिया देख रहा था, कोई वितरण और फाइनेंसिंग का कार्य संभाल रहा था।

मुंबई से गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में ड्रग्स के वितरक और फाइनेंसर भी शामिल हैं। डीआरआई अधिकारी आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं कि उन्हें कच्चा माल कहां से मिलता था, ड्रग्स बनाने की तकनीक किसने सिखाई, और तैयार माल कहां-कहां सप्लाई किया जाता था। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं इस नेटवर्क के तार अंतरराष्ट्रीय तस्करों से तो नहीं जुड़े हुए हैं।

यह घटना केवल कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की छवि पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो आम जनता का भरोसा टूटने लगता है। हालांकि, इस सफल छापेमारी से यह उम्मीद जरूर बनी है कि ऐसे अवैध कारोबार में लिप्त लोगों को कानून जल्द ही उनकी सही जगह पहुंचाएगा।

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