भारत में शिशु मृत्यु दर (IMR) को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। शिशु मृत्यु दर एक देश के स्वास्थ्य स्तर को मापने का एक महत्वपूर्ण मानक है, और इसे कम करने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। शिशु मृत्यु दर का अर्थ है कि जन्म के पहले वर्ष में प्रति 1000 जीवित जन्मों में कितने शिशुओं की मृत्यु होती है। भारत में, यह दर अभी भी कई अन्य देशों के मुकाबले अधिक है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इस दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
भारत सरकार ने शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) शुरू किया है, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास करता है। इस मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है जैसे कि शिशु और माताओं के स्वास्थ्य की निगरानी, नवजात शिशुओं के लिए आवश्यक टीकाकरण,और गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना।
2. टीकाकरण कार्यक्रम
भारत में शिशु मृत्यु दर को कम करने में टीकाकरण कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बच्चों को पोलियो, डिप्थीरिया, काली खांसी, काली खांसी, तपेदिक (टीबी), हेपेटाइटिस बी, और अन्य संक्रामक रोगों से बचाने के लिए व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ‘प्रत्येक बच्चा टीका’ अभियान जैसे प्रयासों से शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
3. प्रारंभिक स्वास्थ्य देखभाल
नवजात शिशु की देखभाल में सुधार के लिए भारत सरकार ने प्रसव के बाद शिशु को बेहतर देखभाल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई पहलें की हैं। “जननी शिशु सुरक्षा योजना” (JSSK) के तहत गरीब और वंचित वर्ग की महिलाओं को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं और शिशु देखभाल की सुविधा दी जा रही है। इसके साथ ही, सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधा देने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक शिशुओं का जन्म अस्पतालों में हो और वहां की स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में उनका इलाज किया जा सके।
4. स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम
शिशु मृत्यु दर को कम करने में एक और महत्वपूर्ण कदम है स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता। सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, शिशु की देखभाल, मां के पोषण, गर्भवती महिलाओं के लिए उचित आहार और सही प्रसव तकनीकों के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है।
5. मातृ मृत्यु दर में कमी और बेहतर प्रसव सेवाएं
भारत में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए मातृ मृत्यु दर (MMR) में कमी लाना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक स्वस्थ मां शिशु के लिए बेहतर देखभाल और पोषण उपलब्ध कराती है। ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ और ‘उत्तर प्रदेश ममता योजना’ जैसी योजनाओं के तहत, गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है और उन्हें प्रसव पूर्व और प्रसव बाद की देखभाल प्राप्त होती है।
6. पोषण और स्वच्छता
माताओं और बच्चों का सही पोषण शिशु मृत्यु दर को कम करने में एक अहम भूमिका निभाता है। सरकार ने कुपोषण और शिशु मृत्यु दर के बीच के संबंध को पहचानते हुए ‘पोषण अभियान’ और ‘स्वच्छ भारत मिशन’ जैसे कार्यक्रम चलाए हैं। इसके माध्यम से शिशु के लिए जरूरी पोषण प्रदान करने और स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है।
7. नवीनतम तकनीकी उपाय
भारत में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नई-नई तकनीकों का उपयोग भी बढ़ाया गया है। मोबाइल स्वास्थ्य सेवा (mHealth), टेलीमेडिसिन और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके साथ ही, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं ताकि वे नवजात शिशुओं की देखभाल में और अधिक सक्षम हो सकें।
8. नैतिक और सामाजिक बदलाव
भारत में कई गैर-सरकारी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। सामाजिक बदलाव के जरिए लड़कियों की शिक्षा, लिंग समानता और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके माध्यम से परिवारों को शिशु स्वास्थ्य की अहमियत समझाई जा रही है, ताकि वे बेहतर देखभाल कर सकें।
भारत में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार, विभिन्न संगठन और समाज मिलकर कई प्रयासों को लागू कर रहे हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, लेकिन अब भी और सुधार की आवश्यकता है। शिशु और मातृ स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना, शिक्षा, पोषण और जागरूकता में सुधार करना, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना भारत की प्राथमिकताओं में शामिल हैं, जो शिशु मृत्यु दर को और अधिक घटाने में मदद करेगा।

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