शक्तिपीठ हाईवे के खिलाफ किसानों का विरोध जारी है

महाराष्ट्र में प्रस्तावित शक्तिपीठ हाईवे के खिलाफ किसानों का विरोध जारी है। यह 802 किलोमीटर लंबा हाईवे राज्य के 12 जिलों से होकर गुजरेगा, जिसमें कोल्हापुर के अंबाबाई से लेकर नांदेड़ के रेणुका देवी जैसे प्रमुख पूजा स्थलों को जोड़ा जाएगा।

भूमि अधिग्रहण की चिंता: इस परियोजना के लिए लगभग 8,400 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जानी है, जिसमें से 8,100 हेक्टेयर भूमि किसानों की है। किसानों को डर है कि भूमि अधिग्रहण के बाद वे भूमिहीन हो जाएंगे, जिससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

पर्याप्त मुआवजे की कमी: किसानों का कहना है कि उन्हें जो मुआवजा प्रस्तावित किया गया है, वह पर्याप्त नहीं है। वे अधिक मुआवजे पर भी अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी।

किसानों का मानना है कि जहां से यह हाईवे प्रस्तावित है, उसके समानांतर पहले से ही एक मार्ग मौजूद है, इसलिए नए मार्ग की आवश्यकता नहीं है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि शक्तिपीठ हाईवे महाराष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने दावा किया कि इससे मराठवाड़ा, विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र में औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। फडणवीस ने यह भी कहा कि जैसे समृद्धि महामार्ग ने 12 जिलों का जीवन बदल दिया, वैसे ही शक्तिपीठ हाईवे भी बड़ा बदलाव लाएगा।

किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि अधिकारी उनकी जमीन का सर्वे करने आएंगे, तो उनका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे अपने पूर्वजों की जमीन सरकार को नहीं लेने देंगे और इसके खिलाफ सभी 12 जिलों के किसान सड़क पर उतरेंगे।

इस विरोध के बीच, किसानों ने 8 अप्रैल को लातूर जिले में अगली रणनीति बनाने के लिए बैठक बुलाई है। सरकार और किसानों के बीच इस मुद्दे पर टकराव जारी है, जिससे परियोजना का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

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