ओडिशा की प्राचीन धरोहरों में उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

द मीडिया टाइम्स डेस्क 

ओडिशा की प्राचीन धरोहरों में उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। ये गुफाएँ भुवनेश्वर शहर के पास स्थित हैं और भारत की सबसे पुरानी रॉक-कट (शिलाखंड में खुदी हुई) गुफाओं में गिनी जाती हैं।

उदयगिरी और खंडगिरी गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व पहली शताब्दी में किया गया था। इन्हें राजा खारवेल के शासनकाल में बनवाया गया था, जो महमेघवाहन वंश के एक शक्तिशाली जैन राजा थे।

इन गुफाओं का मुख्य उद्देश्य जैन संन्यासियों के लिए आवास उपलब्ध कराना था। गुफाओं की दीवारों पर जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ, धार्मिक प्रतीक, और शिलालेख खुदे हुए हैं।

उदयगिरी में कुल 18 गुफाएँ हैं, जबकि खंडगिरी में 15। इन गुफाओं में सुंदर मूर्तिकला, नक्काशी, और शिलालेख देखने को मिलते हैं, जो उस काल की कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।

उदयगिरी की “रानी गुफा” सबसे प्रसिद्ध है, जो कई मंज़िलों वाली और कलात्मक रूप से सजाई गई है। खंडगिरी की गुफाएँ अपेक्षाकृत सरल हैं, लेकिन वहाँ से भुवनेश्वर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।

ओडिशा राज्य के भुवनेश्वर शहर के निकट स्थित उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ प्राचीन भारतीय कला, संस्कृति और धार्मिकता का अद्भुत उदाहरण हैं। ये गुफाएँ न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि शिल्पकला और वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी अत्यधिक मूल्यवान हैं। उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ जैन धर्म से संबंधित हैं और ये गुफाएँ 2,000 साल पुरानी मानी जाती हैं। इन गुफाओं को देखकर हम प्राचीन भारत की धार्मिक आस्थाओं और उनकी जीवनशैली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

उदयगिरी और खंडगिरी गुफाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख स्थल हैं। ये गुफाएँ ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं और यहां हर साल पर्यटक आते हैं। इन गुफाओं के आसपास की पहाड़ी पर चढ़ाई करके पर्यटक अद्भुत दृश्य का आनंद ले सकते हैं। गुफाओं में घुसते समय आपको प्राचीन भारतीय वास्तुकला, शिल्पकला और जैन धर्म की महिमा का अनुभव होता है।

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