एक कुशल अर्थशास्त्री के युग का अंत हुआ पर वक्तितव् अमर है।

कुमारी रंजना प्रधान संपादक द मीडिया टाइम्स

भारत में आर्थिक उदारीकरण पर चलने वाले सादगी के प्रतिमूर्ति डॉ मनमोहन सिंह ने एक कुशल एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में देश की सेवा की .

‌भारत एक मंजे हुए अर्थशास्त्री और एक मात्र सिक्ख प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने दिल्ली के ऐम्स हॉस्पिटल में 9 बजकर 51 मिनट पर अंतिम सांस लेकर पंच तत्व में विलिन हो गए. अल्फ भाषी और शांतिदूत के धनी मनमोहन सिंह को जितना एक आर्थिक सलाहकार के रूप में दुनिया याद रखेगी उससे कहीं जयादा उनके गरिमामयी आचरण के लिए उन्हे याद रखा जाएगा.

‌देश के तमाम पार्टियों के नेताओं ने अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रख कर आर्थिक विकास के स्तंभ को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मरणोपरांत नमन किया.

‌डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में) के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया।डॉ. सिंह ने 1950 के दशक में अपने करियर की शुरुआत आर्थिक मामलों में शोधकर्ता के रूप में की। उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें 1971 में भारत सरकार में आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया। बाद में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर भी रहे।

डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक दो कार्यकालों के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो लोकसभा चुनाव नहीं जीते थे और राज्यसभा सदस्य रहते हुए इस पद पर आसीन हुए। उनके कार्यकाल में आर्थिक विकास और सामाजिक योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया।

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