Bombay High Court ने अंधेरी‑वेस्ट सोसाइटी के मामले में एनओसी आदेश रद्द किया; निर्माता‑निर्देशक Vipul Shah को मिला झटका”

मुंबई के अंधेरी‑वेस्ट स्थित Oberoi Springs CHSL में हुए विवाद में, बंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि सहायक रजिस्ट्रार (को‑ऑपरेटिव सोसाइटीज) द्वारा सोसाइटी को चार फ्लैटों के विलय तथा आंतरिक सीढ़ी लगाने की अनुमति (एनओसी) देने हेतु आदेश देना, अपेक्षित प्राधिकरण से बाहर था।
निर्माता‑निर्देशक Vipul Shah ने सोसाइटी को आवेदन दिया कि वे सोसाइटी की 34वीं और 35वीं मंज़िल पर स्थित चार फ्लैटों को मिला कर एक बड़ी इकाई बना लें और उनके बीच एक आंतरिक सीढ़ी लगाई जाए।
बाद में, मार्च 24, 2025 को सहायक रजिस्ट्रार‑के‑वेस्ट वार्ड ने आदेश दिया कि सोसाइटी को एनओसी जारी करना होगा, जिससे Shah की नियमितीकरण प्रक्रिया ­Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) के समक्ष आगे बढ़ सके।
–न्यायमूर्ति Amit Borkar ने स्पष्ट किया कि §§ 154B‑27(3) के तहत सहायक रजिस्ट्रार‑के‑वेस्ट वार्ड को केवल मालिकाना हक जैसे कि विक्रय या ऋण‑हिपथ के मामलों में सोसाइटी को प्रमाण-पत्र देने का अधिकार है, न कि ऐसे संरचनात्मक परिवर्तन (जैसे विलय या आंतरिक सीढ़ी) को स्वीकृति देने का। –
विलय करना एक संरचनात्मक परिवर्तन माना गया, जो कि फ्लैट की मालिकाना स्थिति बदलने जैसा नहीं है — और इस तरह वह निर्णय निर्माण एवं नियोजन प्राधिकरण (जैसे BMC) के दायरे में आता है, न कि सहायक रजिस्ट्रार के।

इसलिए, सहायक रजिस्ट्रार द्वारा सोसाइटी पर एनओसी जारी करने का आदेश वैध अधिकार से बाहर था।
इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि सोसाइटी में फ्लैटों के विलय/संरचनात्मक बदलाव करते समय सिर्फ सोसाइटी एवं नियोजन प्राधिकरण (जैसे BMC) की प्रक्रिया की जरूरत होती है — सहायक रजिस्ट्रार द्वारा एनओसी की अनिवार्यता नहीं है।

सोसाइटी के सदस्यों एवं प्रबंधन को यह संदेश गया है कि नियम‑प्रक्रिया को सही तरीके से अपनाना होगा — जैसे सोसाइटी की अनुमति, नियोजन प्राधिकरण की मंजूरी आदि।

यह निर्णय तमाम को‑ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटियों के लिए एक ‘पूर्व संकेत’ है कि सहायक रजिस्ट्रार का हस्तक्षेप सीमित है, विशेषकर संरचनात्मक बदलाव में।

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