मोहन भागवत बोले: “नीतियां जनता की जरूरतों के अनुसार बने, तभी टाले जा सकते हैं प्रदर्शन”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी उत्सव के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि जब नीतियां जनता की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं बनतीं, तब स्वाभाविक रूप से असंतोष और प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। उन्होंने खासकर युवा पीढ़ी और जनरेशन-ज़ेड के आंदोलनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज का समाज जागरूक है और उसकी आवाज़ को अनसुना नहीं किया जा सकता।

आरएसएस का शताब्दी वर्ष उत्सव

इस साल विजयदशमी उत्सव आरएसएस के लिए बेहद खास रहा, क्योंकि संगठन ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए। इस ऐतिहासिक अवसर को धूमधाम से मनाया गया। नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में देश के कई दिग्गज नेता और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

प्रमुख अतिथि और मेहमान

विजयदशमी समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस अवसर पर मौजूद रहे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम की महत्ता को और बढ़ा दिया।

युवाओं के मुद्दों पर संघ प्रमुख की चिंता

मोहन भागवत ने कहा कि देश की नई पीढ़ी बदलाव चाहती है। यदि नीतियां समय की मांग और जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाई जाएं, तो असंतोष और विरोध प्रदर्शनों की स्थिति पैदा ही नहीं होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समाज की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाना ही राष्ट्र निर्माण का रास्ता है।

संघ का संदेश

आरएसएस प्रमुख ने अपने भाषण के जरिए न केवल सरकारों को जनता की नब्ज़ समझने की सलाह दी, बल्कि समाज को भी संवाद और सहयोग से आगे बढ़ने का संदेश दिया। विजयदशमी के इस ऐतिहासिक अवसर पर संघ ने “समरसता, सहयोग और सशक्त भारत” का संकल्प भी दोहराया।

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