कुर्मी समुदाय को एसटी दर्जा देने के विरोध में आदिवासी समूहों का निर्णय

रांची: झारखंड में विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सोमवार को एक बैठक के दौरान यह निर्णय लिया कि वे कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे। आदिवासी नेताओं का मानना है कि यह कदम न केवल उनके संवैधानिक अधिकारों पर आघात करेगा, बल्कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आरक्षण और भूमि अधिकारों को भी प्रभावित करेगा।

इस बैठक में कई प्रमुख आदिवासी संगठनों ने भाग लिया और आगामी रणनीति पर चर्चा की। नेताओं ने यह भी घोषणा की कि 28 सितंबर को रांची में एक और व्यापक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्य भर के सभी आदिवासी संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा। इस बैठक का उद्देश्य एक साझा रणनीति तैयार करना है जिससे इस मुद्दे पर प्रभावी ढंग से विरोध किया जा सके।

आदिवासी नेता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने बैठक के बाद कहा, “हम इस साजिश का पुरजोर विरोध करेंगे जो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है। हम यह नहीं होने देंगे कि हमारी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़े।”

आदिवासी संगठनों का तर्क है कि कुर्मी समुदाय ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जनजातियों की श्रेणी में नहीं आता है और उन्हें यह दर्जा देना आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। इस मुद्दे पर आदिवासी समुदाय में गहरा आक्रोश है, और आने वाले दिनों में इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन की संभावना जताई जा रही है।

इस तरह, झारखंड में यह मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक विवाद बनता जा रहा है।

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