याचिका को 12वीं कक्षा का एक छात्र (या छात्रा) ने दायर किया था, जिसमें कहा गया है कि संवैधानिक और कानूनी निर्देशों के बावजूद पाठ्यपुस्तकों में ट्रांसजेंडर-समावेशी सामग्री शामिल नहीं की गई है । कोर्ट ने केंद्र सरकार, NCERT और संबंधित राज्यों से इस बाबत जवाब मांगा है, जिससे यौन शिक्षा को अधिक समावेशी और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सके ।
कानूनी पृष्ठभूमि और तर्क
NALSA बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2014)
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को “थर्ड जेंडर” के रूप में मान्यता दी और शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य में समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए सरकार को निर्देश दिए।याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस ऐतिहासिक फैसले के बावजूद स्कूलों की यौन शिक्षा में ट्रांसजेंडर-समावेशी विषयवस्तु नहीं जोड़ी गई है।
Right to Education (Article 21A) + Right to Dignity (Article 21)
दलील दी गई कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संवेदनशीलता और सम्मान भी शामिल होना चाहिए।
ट्रांसजेंडर बच्चों को समावेशी शिक्षा न देना, उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020)
NEP 2020 में inclusive and equitable education की बात है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ट्रांसजेंडर-समावेशी CSE को न अपनाना NEP के भी खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस सिर्फ केंद्र व NCERT को ही नहीं, बल्कि छह राज्यों को भी भेजा है।
क्योंकि CSE का पाठ्यक्रम तैयार करने और लागू करने में राज्य सरकारों और SCERT (State Council of Educational Research and Training) की बड़ी भूमिका होती है।यह केवल यौन शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में लैंगिक संवेदनशीलता, भेदभाव कम करना, और मानवाधिकार की समझ पैदा करने से जुड़ा है।
अगर यह लागू होता है, तो आने वाले समय में भारत के स्कूलों में यौन शिक्षा का पैटर्न अंतरराष्ट्रीय मानकों जैसा हो सकता है।
नोटिस जारी की तारीख 1 सितंबर 2025
याचिका किसने दायर की? 12वीं कक्षा के छात्र द्वारा
मांग क्या है? ट्रांसजेंडर-समावेशी Comprehensive Sexuality Education (CSE) को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने की
लक्ष्य संस्थाएँ केंद्र सरकार, NCERT एवं छह राज्य सरकारें
उद्देश्य पाठ्यपुस्तकों में ट्रांसजेंडर-समावेशी सामग्री शामिल करना, ताकि समावेशी, संवेदनशील और जागरूक शैक्षणिक माहौल बना रहे
यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षा में लैंगिक समानता, मानवाधिकार और व्यापक समावेशिता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण फैसलों की श्रृंखला में एक नया अध्याय जोड़ता है।

The Media Times – Unfiltered. Unbiased. Unstoppable.
The Media Times stands as a pillar of fearless journalism, committed to delivering raw, unfiltered, and unbiased news. In a world saturated with noise, we cut through the clutter, bringing facts to the forefront without agenda or compromise.From hard-hitting investigative reports to thought-provoking analysis, we cover politics, healthcare, business, technology, entertainment and global affairs with an unwavering commitment to truth. Our team of dedicated journalists and experts works relentlessly to challenge narratives, expose realities, and hold power accountable.At The Media Times, we don’t just report the news—we shape conversations, spark change, and empower the public with knowledge.