UPI से पेमेंट पर अब फीस देनी पड़ेगी?

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने क्या कहा?अगस्त 2025 को आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा के दौरान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के भविष्य को लेकर एक अहम बयान दिया।UPI एक शानदार सिस्टम है, लेकिन इसके पीछे जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसकी एक लागत है। यह जरूरी है कि हम यह समझें कि यह लागत आखिर चुकाएगा कौन।”
उनका कहना है कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बनाए रखने के लिए एक मजबूत ढांचा चाहिए, और इस ढांचे को बनाए रखने और सुधारने में खर्च आता है। इसलिए, यह सोचना जरूरी है कि इस लागत को वहन कौन करेगा — सरकार, बैंक, या उपभोक्ता।

फिलहाल भारत में UPI से पेमेंट करने पर किसी भी तरह की फीस नहीं लगती।यह सुविधा आम लोगों के लिए पूरी तरह मुफ्त है।
सरकार और आरबीआई का उद्देश्य है कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिले।NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया), जो UPI का संचालन करता है, इसके संचालन का खर्च बैंकों से या अन्य तरीकों से वसूलता है।
हर UPI ट्रांजैक्शन के पीछे तकनीकी संसाधन, सर्वर, साइबर सुरक्षा, बैंकिंग सिस्टम आदि की लागत होती है।जैसे-जैसे UPI ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे इन सेवाओं को बनाए रखने का खर्च भी बढ़ता जा रहा है।
सरकार हर समय इसकी सब्सिडी नहीं दे सकती — इसलिए दीर्घकालीन समाधान की तलाश की जा रही है।अभी तक UPI ट्रांजैक्शन पर कोई फीस लागू नहीं की गई है।
संजय मल्होत्रा के बयान का मतलब यह नहीं कि आज से ही UPI पर चार्ज लगेगा, बल्कि यह एक संकेत है कि आने वाले समय में इसपर नीतिगत फैसला लिया जा सकता है।1. छोटे ट्रांजैक्शन पर छूट मिलेगी – हो सकता है कि ₹500 या ₹1000 तक के लेन-देन पर कोई शुल्क न लगे।2. बड़े अमाउंट या व्यापारी लेन-देन पर शुल्क लगे – जैसे बिज़नेस ट्रांजैक्शन या ₹10,000 से ऊपर की राशि पर।
UPI की सुविधा बहुत ही उपयोगी है और करोड़ों लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। अभी यह बिलकुल मुफ्त है, लेकिन आरबीआई और सरकार भविष्य में इसके संचालन की लागत को ध्यान में रखते हुए कुछ श्रेणियों में मामूली शुल्क लगाने पर विचार कर सकती है।

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