23 जुलाई, नई दिल्ली: खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय खेल संगठनों की कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। इस विधेयक का नाम “राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक” (National Sports Governance Bill) है, जो देश में खेलों के सुचारु और नैतिक संचालन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
इस विधेयक के माध्यम से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) सहित अन्य राष्ट्रीय खेल संगठनों को एक नियामक बोर्ड के अधीन लाया जाएगा, ताकि उनकी गतिविधियाँ पारदर्शी, उत्तरदायी और सार्वजनिक हित में हों। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब देश में खेलों को पेशेवर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
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राष्ट्रीय खेल शासी निकायों की स्थापना: इस विधेयक में राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल महासंघ और क्षेत्रीय खेल महासंघ जैसे शासी निकायों की स्थापना का प्रावधान है। ये निकाय संबंधित मान्यता प्राप्त खेल संगठनों की निगरानी और संचालन का कार्य करेंगे।
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खेलों का विकास और प्रोत्साहन: विधेयक का उद्देश्य देश में खेलों के विकास को बढ़ावा देना और अधिक युवाओं को खेलों की ओर आकर्षित करना है। इससे न केवल खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी, बल्कि ग्रामीण एवं क्षेत्रीय प्रतिभाओं को भी उभारने का अवसर मिलेगा।
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खिलाड़ियों की कल्याण योजनाएँ: विधेयक में खिलाड़ियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की बात की गई है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण, बीमा, स्वास्थ्य सेवाएँ और करियर सहायता जैसी सुविधाएँ सुनिश्चित की जा सकें।
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सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों पर आधारित संचालन: विधेयक में खेल संगठनों से अपेक्षा की गई है कि वे नैतिक मूल्यों, अच्छे प्रशासन, और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन करें। इससे खेलों में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अपारदर्शिता जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
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जवाबदेही और निगरानी: सभी मान्यता प्राप्त खेल निकायों को नियामक बोर्ड के प्रति जवाबदेह बनाया जाएगा। यह बोर्ड खेल निकायों के कामकाज की निगरानी करेगा और अनियमितता पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई करेगा।
राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक का संसद में प्रस्तुत होना देश में खेलों को एक संस्थागत और पारदर्शी ढांचा प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। इससे न केवल खिलाड़ियों को लाभ होगा, बल्कि आम जनता का खेल निकायों पर विश्वास भी बढ़ेगा।
मनसुख मंडाविया का यह प्रयास भारतीय खेल क्षेत्र को पेशेवर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होगा, और देश की नई खेल नीति को मजबूती प्रदान करेगा। यह विधेयक यदि पारित हो जाता है, तो भारत में खेल प्रशासन में एक नई और जिम्मेदार प्रणाली की शुरुआत होगी।

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