उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में त्रि-भाषा नीति को किया खारिज, कहा – “मराठी के साथ अन्याय नहीं सहेंगे”

मुंबई, 18 जुलाई (भाषा) – शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित त्रि-भाषा नीति का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को कमजोर करने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और राज्य सरकार अगर जबरन त्रि-भाषा नीति लागू करने की कोशिश करेगी, तो वे इसका पुरज़ोर विरोध करेंगे।

विधान भवन परिसर में मानसून सत्र के अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत में उद्धव ठाकरे ने कहा, “यह त्रि-भाषा नीति मराठी की अवहेलना है। महाराष्ट्र की आत्मा मराठी है। हम इसे किसी भी हालत में कमजोर नहीं होने देंगे।” उन्होंने सवाल उठाया कि जब हिंदी और अंग्रेज़ी को पहले से ही प्राथमिक शिक्षा और प्रशासनिक कामकाज में स्थान मिला है, तो अब तीसरी भाषा थोपने की क्या ज़रूरत है।

उद्धव ने यह भी कहा कि भाषा के नाम पर किसी भी तरह का राजनीतिक एजेंडा नहीं चलाया जाना चाहिए और मराठी भाषी जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

इस दौरान उन्होंने गुरुवार को विधान भवन परिसर में प्रतिद्वंद्वी दलों के विधायकों के समर्थकों के बीच हुई हाथापाई पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “यह घटना महाराष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है। हमारे लोकतंत्र का मंदिर अब राजनीतिक हिंसा का केंद्र बनता जा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार से मांग की कि वह त्रि-भाषा नीति पर पुनर्विचार करे और सभी पक्षों से संवाद करके ही कोई निर्णय ले।

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