महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को पहली कक्षा से नहीं बल्कि पांचवीं कक्षा से अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।

महाराष्ट्र में हिंदी पढ़ाई से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब हिंदी भाषा को पहली कक्षा से नहीं बल्कि पांचवीं कक्षा से अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।पहले योजना थी: कि महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से ही हिंदी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी।अब नया निर्णय: हिंदी अब पांचवीं कक्षा से अनिवार्य की जाएगी।यह बदलाव महाराष्ट्र सरकार की नई शैक्षणिक नीति के तहत किया गया है।यह निर्णय विशेष रूप से गैर-हिंदी भाषी राज्यों के लिए केंद्र सरकार की नीति से जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में कहा गया था कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाए, लेकिन कक्षा 6 से पहले तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देने की सिफारिश की गई थी।
नीचे दिए गए विवरण से स्पष्ट है कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुलकर कहा है:उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के उस संशोधित आदेश का विरोध किया है, जिसमें पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना प्रस्तावित था। पवार का कहना है कि हिंदी की पढ़ाई कक्षा 5 से शुरू करनी चाहिए, ताकि बच्चों को पहले मराठी में प्रवाह मिल सके। उन्होंने “Class 1 to 4 में हिंदी नहीं” की आवाज उठाई और कहा कि यह मूलभाषा मराठी का ही समय है। उनका मानना है कि शुरूआती शिक्षा के दौर में किसी और भाषा का जोर-जबरदस्ती से बोझ देना अनुचित है।

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