नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक 2025 के पारित होने की सराहना की और इसे सहकारी क्षेत्र के लिए ‘‘ऐतिहासिक दिन’’ बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक सहकारी शिक्षा को भारतीय पाठ्यक्रम में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे देश के सहकारी आंदोलन को मजबूती मिलेगी।
अमित शाह ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में शिक्षा का एक नया अध्याय शुरू होगा, जो विद्यार्थियों को सहकारी प्रबंधन, कार्यपद्धतियों और नीतियों से परिचित कराएगा। इसके परिणामस्वरूप भारतीय सहकारी मॉडल को एक नई दिशा मिलेगी, और यह न केवल किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए, बल्कि पूरे देश के विकास में सहायक साबित होगा।
उन्होंने आगे कहा कि सहकारी विश्वविद्यालय के गठन से विद्यार्थियों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और वे देश के आर्थिक विकास में भागीदार बनेंगे। इसके साथ ही यह भारत के विभिन्न हिस्सों में सहकारी संस्थाओं के कामकाज को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने में मदद करेगा।
अमित शाह ने यह भी कहा कि सहकारी मंत्रालय के तहत कई योजनाओं और पहलों को लागू किया जा रहा है, जो सहकारी संस्थाओं को प्रौद्योगिकी, वित्तीय सहायता और अन्य आवश्यक संसाधनों के माध्यम से सशक्त बनाएगा। यह विधेयक उन संस्थाओं के लिए एक स्थिर और मजबूत ढांचा प्रदान करेगा, जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यह दिन सहकारी क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और भविष्य में इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।

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