उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के दो पत्रकारों के संरक्षण की अवधि बढ़ाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह उन दो पत्रकारों को चार और हफ्ते तक गिरफ्तार न करे, जिनके खिलाफ एक लेख लिखने और ‘एक्स’ पर कुछ पोस्ट करने को लेकर चार प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।

न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने अपने पिछले आदेश की अवधि बढ़ाते हुए राज्य पुलिस से कहा कि वह पत्रकार अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम न उठाए।

इस आदेश के बाद पत्रकारों के लिए राहत की सांस लेना संभव हुआ है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उनके अधिकारों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इन पत्रकारों के खिलाफ कोई और कार्रवाई न करे जब तक कि मामले की पूरी जांच न हो जाए।

अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी के खिलाफ जिन प्राथमिकियों की बात हो रही है, उन्हें विवादास्पद लेख और सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा माना जा रहा है, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी।

इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि न्यायालय मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

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