मुंबई: महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार रात को बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी की घटना हुई, जिसमें एक विशिष्ट समुदाय को निशाना बनाया गया। उनके घरों को जलाया गया, पत्थर फेंके गए और दंगाईयों ने पुलिस पर भी हमला किया। इस हिंसा के परिणामस्वरूप कई लोग घायल हो गए, जिनका इलाज चल रहा है। इस बारे में महाराष्ट्र विधान सभा में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक बड़ा बयान दिया।
एकनाथ शिंदे का बयान:
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि नागपुर में विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस ने आकर हस्तक्षेप किया और दोनों समुदायों के बीच शांति स्थापित की। लेकिन फिर, अचानक शाम आठ बजे के बाद दो से पांच हजार लोग कैसे इकट्ठा हो सकते हैं? महल क्षेत्र, मोमिनपुरा, हंसपुरी जैसे इलाके भी हिंसा से प्रभावित हुए थे। शिंदे ने कहा कि उन्होंने टीवी पर महिलाओं और बच्चों की प्रतिक्रियाएं देखीं, जिनके घरों में बड़े-बड़े पत्थर फेंके गए थे। एक पांच साल का बच्चा बाल-बाल बच गया और हिंसा के दौरान अस्पताल में भगवान की तस्वीर को जलाने जैसी घटनाएं भी हुईं।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आप विरोध करते हैं तो वह लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए, न कि कानून को अपने हाथ में लेकर और एक विशिष्ट समुदाय को निशाना बनाकर।
150 गाड़ियां गायब, क्या था इसका मतलब?
शिंदे ने बताया कि जब उन्होंने जानकारी प्राप्त की तो उन्हें यह पता चला कि एक खास स्थान पर हर दिन 100 से 150 कारें पार्क होती थीं, लेकिन इस घटना के दौरान वहां एक भी कार नहीं दिखी। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि यह हिंसा जानबूझकर और साजिश के तहत एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए की गई थी।
कांग्रेस पर हमला:
शिंदे ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि लोग अपनी जान हथेली पर रखकर अराजकता फैला रहे थे और पुलिस को भी हमले का सामना करना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल द्वारा मुख्यमंत्री की तुलना औरंगजेब से किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। शिंदे ने कहा, “आप किससे तुलना कर रहे हैं? हर्षवर्धन सपकाल को माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उनके कार्यों से यह साबित होता है कि वे औरंगजेब का समर्थन कर रहे हैं।”
देशद्रोह का सवाल:
शिंदे ने यह भी सवाल किया कि अगर कोई देशद्रोही का समर्थन करता है तो क्या उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए? इस बयान के साथ उन्होंने सपकाल से माफी की मांग की।
नागपुर में हुई हिंसा के बाद शिंदे का यह बयान विधानसभा में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

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