190 लोगों की ‘घर वापसी’, झारखंड में 15 दर्जन लोगों ने अपनाया हिन्दू धर्म

 द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म शास्वत है और इसका अंत कभी नहीं हो सकता है। शंकराचार्य गुरुवार की दोपहर पश्चिमी सिंहभूम के विश्व कल्याण आश्रम पारलीपोस में आयोजित स्वधर्म वापसी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

इस दौरान उनके समक्ष 35 गांवों के 190 ग्रामीणों ने हिन्दू धर्म में वापसी की।

ये सभी मनोहरपुर,आनंदपुर व गोईलकेरा प्रखंड के थे। शंकराचार्य ने मंत्रोच्चार के बीच गंगाजल से सभी को शुद्ध कराकर व गंगा जल पीला कर वापसी कराई। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म -हिन्दू धर्म शाश्वतहै, और शाश्वत का अर्थ होता है जो हमेशा रहता है। जैसे हमारे माता- पिता नहीं बदलते हैं, हमारा रक्त नहीं बदलता है,ठीक उसी प्रकार से धर्म का परिवर्तन नहीं हो सकता है। सनातन धर्म में सभी धर्मो का समावेश है।

प्रलोभन में धर्म परिवर्तन न हो यह सरकार सुनिश्चित करे

सदानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे देश में अनेक धर्मवलम्बी निवास करते हैं और हम चाहते है क्रि जैसी सुविधा दूसरे धर्मवलाम्बियो को अपने धर्म पालन करने की सुविधा है वैसी ही सुविधा शासन- प्रशासन से हिन्दुओं को भी प्राप्त होना चाहिए। गरीबी अथवा अभाव के कारण,जबरन या प्रलोभन दे कर कोई भी आदिवासी भाई, हिन्दू या सरना मानने वाले कोई अपना धर्म परिवर्तन न कराये। यह सुनिश्चित कराना सरकार का काम है।

आदिवासियों की सेवा के उद्देश्य की गई थी आश्रम

शंकराचार्य ने कहा कि विश्व कल्याण आश्रम में पूज्य गुरुदेव ब्राह्मलीन जगत गुरु स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने कार्यक्रम शुरू किया था। इसकी स्थापना का उद्देश्य यहां के आदिवासियों की सेवा करना है। यहां वर्षों से हम चिकित्सा, शिक्षा, समेत कई सेवाएं देतें रहे हैं।

धर्म वापसी करने वालों ने स्वयं कहा कि वे सब पहले हिन्दू थे, पर लोग भटक कर,अज्ञानता और प्रलोभन में आकर इसे बदल लिया था। जन जागरण व स्व चेतना से लोग अपने धर्म में वापस आये है। हमें अपने धर्म का स्वाभिमान होगा तो न सिर्फ हम अपने धर्म के प्रति हर परिस्थिति में अडिग रहेंगे,बल्कि इसकी रक्षा भी करेंगे।

इस वर्ष अबीर का टीका लगा लाएगा

स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा की आश्रम के प्रभारी ब्राह्मलीन ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी का इस वर्ष प्रयागराज में शरीर शांत हो गया। उन्होंने 50 वर्षों तक यहां सेवा दी है। इसीलिए निर्णय लिया गया है कि इस वर्ष यहां रंगों की होली नहीं होगी बल्कि सिर्फ अबीर टीके ही लगाए जाएंगे

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