चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग दक्षिण-पूर्व एशिया के तीन देशों की यात्रा पर: क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में एक अहम कदम

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग आगामी सप्ताह में दक्षिण-पूर्व एशिया के तीन देशों—वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया—की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा 14 से 18 अप्रैल के बीच होगी और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को मजबूती देना, व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाना तथा रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम देना है।

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव अपने चरम पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में चीन पर 145 प्रतिशत आयात शुल्क लगाए जाने के बाद, यह शी चिनफिंग का पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा है। विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरे के जरिए चीन यह संदेश देना चाहता है कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत रिश्तों पर फोकस कर रहा है और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

शी चिनफिंग की यात्रा की शुरुआत वियतनाम से होगी। वियतनाम और चीन के बीच ऐतिहासिक रूप से सीमा विवाद रहे हैं, खासकर दक्षिण चीन सागर को लेकर। हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों देशों ने आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रयास किए हैं। इस दौरे में सीमा विवाद पर बातचीत के अलावा व्यापार, पर्यटन और अवसंरचना क्षेत्रों में समझौतों की उम्मीद की जा रही है।

मलेशिया चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण साझेदार रहा है। शी की मलेशिया यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच निवेश, तकनीकी सहयोग और रेलवे व बंदरगाह परियोजनाओं पर चर्चा हो सकती है। यह भी उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।

कंबोडिया चीन का एक घनिष्ठ मित्र और विश्वसनीय साझेदार रहा है। चीन ने कंबोडिया में कई बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में निवेश किया है और उसे आर्थिक सहायता भी दी है। शी की यात्रा से यह साझेदारी और मजबूत हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा में रक्षा, कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों में भी कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।

शी चिनफिंग की यह यात्रा न केवल चीन की विदेश नीति की दिशा को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि चीन वैश्विक दबाव के बावजूद अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है। क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि चीन अब ‘पड़ोसी पहले’ नीति को अपनाकर एशियाई देशों के साथ मिलकर एक नया क्षेत्रीय संतुलन बनाना चाहता है।

 

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