‘ग्रे जोन’ के युग में राजनीतिक-सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए साइबर हमले बन रहे हैं साधन: राजनाथ सिंह

वेलिंगटन (तमिलनाडु): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में पारंपरिक युद्ध की परिभाषाएं बदल रही हैं और अब राष्ट्र केवल सीमा पर हथियारों के बल पर नहीं लड़ते, बल्कि साइबर स्पेस और सूचना के क्षेत्र में भी युद्ध छेड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘ग्रे जोन’ और ‘हाइब्रिड’ युद्ध के इस युग में साइबर हमले, सूचना युद्ध और दुष्प्रचार राजनीतिक-सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रभावी साधन बन चुके हैं।

राजनाथ सिंह रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC), वेलिंगटन के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। अपने भाषण में उन्होंने समकालीन सुरक्षा चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का युद्ध केवल गोली-बंदूक का नहीं, बल्कि तकनीक, विचारधारा और डेटा के माध्यम से लड़ा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो संघर्ष चल रहे हैं, चाहे वो रूस-यूक्रेन युद्ध हो या अन्य क्षेत्रीय तनाव, वे यह स्पष्ट करते हैं कि अब युद्ध सीमित समय और स्थान का नहीं रह गया है। यह अब बहुआयामी और बहुपरतीय हो चुका है, जिसमें साइबर हमले, फेक न्यूज़, सोशल मीडिया प्रचार और आर्थिक प्रतिबंध जैसे हथियारों का प्रयोग हो रहा है।

रक्षा मंत्री ने विशेष रूप से साइबर युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक ऐसा हथियार है जो बिना सीमा लांघे, बिना गोली चलाए दुश्मन के नेटवर्क, सूचना तंत्र और मनोबल को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा, “आज के समय में साइबर हमला एक ऐसा टूल बन गया है, जो बिना पारंपरिक युद्ध के भी दुश्मन को पंगु बना सकता है। यह एक नया रणक्षेत्र है, जिसे हमें गंभीरता से लेना होगा।”

उन्होंने कहा कि भारत ने इस चुनौती को भांपते हुए अपनी साइबर सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। सरकार द्वारा कई स्तरों पर साइबर रक्षा प्रणालियों को सशक्त किया जा रहा है और सुरक्षा बलों को नई तकनीकों से लैस किया जा रहा है।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम पारंपरिक सैन्य प्रशिक्षण के साथ-साथ नवाचार, तकनीकी समझ और सूचना युद्ध की रणनीतियों में भी निपुण हों। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वही राष्ट्र मजबूत कहलाएगा जो हर स्तर पर—चाहे वह भौतिक हो या डिजिटल—अपनी रक्षा करने में सक्षम होगा।

अपने भाषण के अंत में उन्होंने DSSC के स्नातक अधिकारियों को शुभकामनाएं दीं और आशा जताई कि वे राष्ट्र की सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

इस प्रकार रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि युद्ध की परिभाषा बदल रही है, और आज का असली युद्ध ‘ग्रे जोन’ में लड़ा जा रहा है—जहां शत्रु दिखता नहीं, पर उसका प्रभाव गहराई तक होता है।

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