वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए, उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी ने लोकसभा में सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मुंबई साउथ से शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सावंत ने विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य किसी को न्याय देना नहीं है, बल्कि यह केवल एक राजनीतिक एजेंडा है। उनका कहना था कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है, जो देश के लिए हानिकारक हो सकता है।
देश की स्वतंत्रता में मुसलमानों का योगदान:
अरविंद सावंत ने कहा कि देश की आज़ादी में मुसलमानों का भी योगदान था और वे भी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान की आहुति देने वाले थे। उनका यह बयान उस संदर्भ में था जब सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा हिंदुत्व का पाठ पढ़ाने का दावा करना गलत है, क्योंकि अयोध्या और वाराणसी में बीजेपी के वोट प्रतिशत में गिरावट आई है।
विधेयक के विरोध में सावंत की स्थिति:
सावंत ने कहा कि यदि विधेयक में कोई गलत प्रावधान हैं, तो वे इसका समर्थन नहीं करेंगे। उनका आरोप था कि सरकार ने वक्फ बोर्ड के चुनाव प्रक्रिया को बदलते हुए नॉमिनेशन का रास्ता अपनाया है, जिससे यह आशंका पैदा होती है कि सरकार अपने पसंदीदा लोगों को नियुक्त कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में लाने की योजना बना रही है, तो उन्हें यह साफ करना चाहिए कि क्या वे भविष्य में मंदिरों के बोर्ड में भी गैर-हिंदुओं को नियुक्त करेंगे।
धारा 370 पर समर्थन:
सावंत ने यह भी कहा कि जब धारा 370 हटाने की बात आई थी, तो शिवसेना यूबीटी ने सरकार का समर्थन किया था, लेकिन अब उन्हें यह देखना है कि कश्मीर में हिन्दू लोगों के लिए क्या किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कश्मीर में जमीनें बेचने के लिए कोई कानून लाया जाएगा, और विशेष रूप से हिंदू देवस्थानों की जमीनों को बेचने के खिलाफ कोई कदम उठाए जाएंगे या नहीं।अरविंद सावंत का यह बयान वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शिवसेना यूबीटी की स्पष्ट असहमति को दर्शाता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अगर इसमें कोई गलत पहलू है, तो उसे तुरंत ठीक किया जाए, और सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।कामरा ने यह भी कहा कि वह अपनी टिप्पणियों के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन यह विवाद किसी भी प्रकार से किसी को मानसिक या शारीरिक परेशानी पहुंचाने का उद्देश्य नहीं था। उन्होंने इस घटना के लिए एक बार फिर से खेद जताया और आशा व्यक्त की कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।यह घटनाक्रम एक बार फिर से राजनीतिक टिप्पणी और हास्य कलाकारों के लिए उठाए गए बयानों के मामलों को लेकर चर्चा का विषय बन गया है।
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