झारखंड विधानसभा का बजट सत्र, तीसरे दिन की कार्यवाही

 द मीडिया टाइम्स डेस्क 

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र इस समय जारी है और आज इसका तीसरा दिन है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था। आज की कार्यवाही की शुरुआत प्रश्न काल से होगी, जिसमें विधायक विभिन्न मुद्दों पर सरकार से सवाल करेंगे।

इसके बाद, राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर वित्तीय वर्ष 2024-25 की तृतीय अनुपूरक व्यय विवरणी सभा पटल पर रखेंगे। इस विवरणी में राज्य के वित्तीय स्थिति और आगामी खर्चों की जानकारी दी जाएगी। तृतीय अनुपूरक व्यय राज्य के मौजूदा बजट में कुछ बदलाव और अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों के इस्तेमाल की योजना को दर्शाता है।

इसके बाद राज्यपाल संतोष गंगवार के अभिभाषण पर वाद-विवाद होगा। यह चर्चा राज्यपाल द्वारा सरकार की योजनाओं और कार्यों पर आधारित होगी। इसके बाद सरकार की तरफ से उत्तर दिया जाएगा, जिसमें सरकार अपने कार्यों का विवरण और दिशा स्पष्ट करेगी।

28 फरवरी को तृतीय अनुपूरक व्यय पर वाद-विवाद होगा, और इसके बाद मतदान के बाद विनियोग विधेयक को टेबल किया जाएगा। इस विधेयक के द्वारा सरकार यह सुनिश्चित करती है कि राज्य के वित्तीय संसाधनों का सही तरीके से उपयोग किया जाए।

2 मार्च तक के लिए सत्र की कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी, क्योंकि शनिवार और रविवार पड़ने के कारण विधानसभा की कार्यवाही में अवकाश रहेगा। इसके बाद 3 मार्च को वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर सदन में आगामी वित्तीय वर्ष के बजट को पेश करेंगे। बजट सत्र का यह हिस्सा राज्य की आर्थिक स्थिति, आगामी योजनाओं और योजनाओं के लिए आवंटित राशि पर प्रकाश डालेगा।

बजट सत्र के दूसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। प्रश्न काल और शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने कई मुद्दों को उठाया। इनमें प्रमुख मुद्दे पेपर लीक, बालू घाट नीलामी और मंईयां सम्मान योजना से संबंधित थे।

विपक्ष ने राज्य में हो रही पेपर लीक की घटनाओं पर चिंता जताई और इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए। इसके अलावा, बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया और मंईयां सम्मान योजना को लेकर भी सरकार से जवाब तलब किया गया। इस दौरान भाजपा ने पेपर लीक मामले को लेकर सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया।

झारखंड विधानसभा का यह बजट सत्र राज्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें राज्य की वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। इसके साथ ही विपक्ष के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी सरकार को जवाबदेही तय करनी होगी।

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