सख्शियत
डॉक्टर के.एन.पांडेय दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों मे कई वर्षों तक कार्यत रहे।विगत कुछ वर्षों से बीमार होने की वजह से वो अपनी डॉक्टरी की सेवा जारी नहीं रख सके।इन दिनों वो अपनी भावनाओं को लेखनी के माध्यम से व्यक्त कर रहे हैं और समाज से जुड़कर रहने की मुहीम में शामिल हैं
डॉक्टर पांडेय की एक ताजा तरीन शायरी….
शायरी
रूह मेरी न कभी भूल पाएगी.
वो फूँक कर दिले आशियाना
दूर बनके तमाशाई खड़े हैं
शायद तमन्ना है देखने की
आखिरी तिनके को खाक में मिलते हुए
जब आएगी बारी अफसोस जताने की
होठों पर दबी मुसकुराहट लिए
चंद घड़ियाली आंसू बहाने की
कुछ कहेंगे हादसा हुआ
कुछ कहेंगे बहुत बुरा हुआ
जुबां से शायद तुम भी कुछ ऐसा ही कहो
दिल से कहोगे जो हुआ अच्छा हुआ
मेरी किस्मत ही थी शायद
चाहत में बर्बाद हो जाना
खो गए हम कब्र में सो गए हम
चन्द रोज में लोग भूल जाएगें हमको
रूह मेरी न कभी भूल पाएगी तुझको
सबे रात किसी की मज़ार पर
आएगा कोई जब जलाने को दिया
इन्तजार होगा मेरी भी कब्र को
शायद किसी के आने का
आ जाए मेरा कातिल अगर
कह दूँगा, शुक्रिया मुझे खाक में मिलाने का.
रूह की कलम से
Dr. KN pandey
17/92Subhash Nagar
Second floor
New Delhi….110027
Oh so nice, Mausa ji.
So nice. I am proud of you of having a poetic heart apart from your profession of medical field.
I am prouud of you of your having poetic nature inspite of your medical profession. This is very rare. May the Amigthy bless you with a long life so that we can enjoy your more poems. Thanks alot